देश के नौकरशाहों, राजनयिकों तथा अन्य के चयन के लिए सिविल सेवा परीक्षा आयोजित करने वाले संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष और सदस्यों ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकार की मदद करने के लिए एक साल तक अपने मूल वेतन का 30 प्रतिशत हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। संघ लोक सेवा आयोग ने वर्तमान हालात की समीक्षा के लिए बुधवार को आयोजित एक विशेष बैठक में कोरोना वायरस महामारी के कारण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान पर विचार विमर्श किया गया। कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रीय स्तर पर वित्तीय संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए, यूपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों ने अप्रैल 2020 से एक वर्ष की अवधि के लिए आयोग से प्राप्त होने वाले मूल वेतन का 30 प्रतिशत स्वैच्छिक रूप से त्यागने का निर्णय लिया है।’’ वर्तमान में आयोग में एक अध्यक्ष और दस सदस्य हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया कि इसके अलावा, यूपीएससी के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने स्वेच्छा से अपने एक दिन का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष/प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एव आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स) में दिया है। यूपीएससी ने कहा कि ऐहतियात और सामाजिक दूरी के मानकों सहित इन दिनों लागू लॉकडाउन के मद्देनजर यह तय किया गया है कि उन सभी साक्षात्कार ओर परीक्षाओं की तारीखों की समय समय पर समीक्षा की जाएगी जिनके लिए परीक्षार्थियों और परामर्शदाताओं को देश के विभिन्न हिस्सों से यात्रा करने की जरूरत होती है। विज्ञप्ति के अनुसार, सिविल सर्विसेज-2020 (प्राथमिक), इंजीनियरिंग सर्विसेज (मुख्य) और जियोलॉजिस्ट सर्विसेज (मुख्य) परीक्षाओं के लिए तारीखों की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। बयान में कहा गया है ‘‘इन परीक्षाओं की तारीख में स्थिति के मद्देनजर अगर कोई बदलाव होता है तो यूपीएससी की वेबसाइट पर इसकी सूचना दी जाएगी।’’

 

 

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