सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ की येस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी खरीदने की योजना को मंजूरी दे दी है। उच्चपदस्थ सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि इसकी घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। निजी क्षेत्र का येस बैंक डूबे कर्ज की समस्या से जूझ रहा है। बैंक नई पूंजी जुटाना चाहता है, लेकिन उसकी इस योजना में दिक्कतें आ रही हैं। मौजूदा संकट के वजह से बैंक ने दिसंबर, 2019 की तिमाही नतीजों की घोषणा टाल दी है। गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी नीचे आ गई है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के गठजोड़ की येस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी लेने की योजना को मंजूरी दे दी है। इन खबरों पर शेयर बाजारों को भेजे स्पष्टीकरण में एसबीआई ने कहा है कि वह सेबी नियमनों के तहत इस बारे में घटनाक्रमों का खुलासा करेगा। बैंक ने कहा, ‘‘हम सेबी (एलओडीआर) नियमन, 2015 के नियमन 30 के तहत शेयर बाजारों को किसी घटनाक्रम का खुलासा करने की समयसीमा का पालन करेंगे।’’ येस बैंक अगस्त, 2018 से संकट में है।
उस समय रिजर्व बैंक ने बैंक के तत्कालीन प्रमुख राणा कपूर से कामकाज के संचालन और ऋण से जुड़ी खामियों की वजह से 31 जनवरी, 2019 तक पद छोड़ने को कहा था। उनके उत्तराधिकारी रवनीत गिल के तहत बैंक ने दबाव वाली ऐसी संपत्तियों का खुलासा किया है जिनकी जानकारी नहीं दी गई थी। बैंक को मार्च, 2019 की तिमाही में पहली बार घाटा हुआ था। येस बैंक ने शुरुआत में दो अरब डॉलर की पूंजी जुटाने की योजना बनाई थी। बाद में बैंक के निदेशक मंडल ने कनाडा के निवेशक एसपीजीपी ग्रुप-इर्विन सिंह ब्रायच के 1.2 अरब डॉलर के निवेश के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। मुंबई मुख्यालय वाले येस बैंक की स्थापना 2004 में हुई थी। जून, 2019 के अंत तक बैंक की पूंजी का आकार 3,71,160 करोड़ रुपये था।