मदरलैंड संवाददाता, नरकटियागंज
शिक्षको की हड़ताल को लेकर, सरकार डराने का रवैया त्याग, अपनाये सकारात्मक रुख, तदुपरांत शिक्षको से सम्मानजनक समझौता करें। उपर्युक्त जानकारी बिहार शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य-सह-अनुमंडल सचिव, शिक्षक संघ, बिहार, नरकटियागंज के वीरेंद्र कुमार सिंह ने दी। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई, सरकार अलोकतांत्रिक व निरंकुश तानाशाह की माफिक हो गई है। विगत 17 फरवरी 2020 से नियोजित शिक्षकों की संवैधानिक हड़ताल को दमनात्मक तरीके से मांगें पूरी करने की बजाय कुचलना चाहती है। बिहार की भाजपानीत जदयू सरकार के मुखिया नीतीश कुमार डबल इंजन की गूंगी, अंधी और बहरी बनकर रह गई है। यह सरकार मानवीय मूल्यों के असंवेदनशीलता की सारी हदें पार कर चुकी है। अनुमंडल सचिव ने कहा कि बिहार सरकार की असंवेदनशील, हठधर्मिता एवं संवादहीनता की क्रूर नीति ने राज्य के लगभग 64 हड़ताली शिक्षकों को असमय काल के गाल में धकेला है, जो वर्तमान व्यवस्था में गंभीर चिंता का विषय हैं। बिहार में जहां करोना से मात्र दो व्यक्तियों की मौत हुई है, वहीं हड़ताल के दौरान लगभग 64 हड़ताली शिक्षको की मौत होना सरकार व उनकी सहयोगी दलों पर सवालिया निशान से इंकार नहीं किया जा सकता है और यह गंभीर मामला मानवाधिकार के घेरे में सरकार को लेता है । हड़ताली नेताओ ने कहा है कि हड़ताली शिक्षकों से वार्ता कर लेती तो शायद इतनी बड़ी संख्या में नियोजित शिक्षकों की असमय मौत नहीं होती। उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों की मौत के जिम्मेदार नीतीश सरकार है। जिनकी तानाशाही के विरोध में अबकी बार आर-पार की लड़ाई के मूड में सभी नियोजित शिक्षक हैं। शिक्षको ने कहा है कि कुर्बानियां जितनी भी देनी पड़े, शिक्षक देने को तैयार हैं। इस लड़ाई से कोई भी शिक्षक एक कदम पीछे नहीं हटेंगे और सरकार की हर कुटिल चाल को बेनकाब करेंगे।