कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने आर्थिक पैकेज उन्हीं को दिया, जिन्होंने अर्थव्यवस्था डुबाने का काम किया है इस पैकेज से मजदूरों, किसानों और गरीबों को क्या मिला? गरीब, मजदूर भूखे मर रहे हैं। किसान आत्महत्या करने पर विवश हैं। भाजपा सरकार ने पिछले छह सालों में अर्थव्यवस्था को पहले ही बर्बाद कर दिया था। कोविड-19 के बाद अर्थव्यवस्था फ्रीफाल की स्थिति में है। कारोबार में भीषण मंदी है।

अपने बयान में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार जारी बयान में कहा कि सरकार आत्मनिर्भर होने की बात करती है, लेकिन आत्मनिर्भर होने का रास्ता नहीं बताती। ऐसा लगता है कि सरकार किसानों की जमीन निजी हाथों में देने पर आमादा है। डिफेंस कॉरिडोर के नाम पर किसानों की हजारों हजार एकड़ जमीन पर कब्जा किया जा रहा है। यह सब उद्योगपतियों को दी जाएंगी। कोविड-19 संक्रमण रोकने में सरकार को जितनी जिम्मेदारी से कदम उठाने चाहिए थे, वैसा नहीं किया। पहले ताली और थाली बजवाया। जब परिस्थितियां विस्फोटक हो गई तब विशेषज्ञों ने राय दी तो आनन-फानन में लॉकडाउन कर दिया।

इसके अलावा अखिलेश यादव ने कहा कि मजदूूरों के लिए सरकार ने कोई इंतजाम नहीं किया। कईयों की भूख प्यास से रास्ते में ही मौत हो गई। इस सब के लिए केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। गरीबों और मजदूरों की हालत देखकर सपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें खाना खिलाया, पानी पिलाया और उनकी भरपूर मदद की है। भाजपा की सरकार ने तीन एमओयू किए हैं लेकिन क्या सरकार बताएगी किस उद्योगपति ने निवेश किया। आज हालत यह है कि पुराने उद्योग धंधे डूब रहे हैं। तीन साल की भाजपा सरकार में एक भी नया कारखाना नहीं लगा।अब सरकार श्रमिकों को भ्रमित करने के लिए नया आयोग की बात कर रही हैं जबकि यूपी के पास इसके लिए पुराना विभाग है। स्किल डेवलपमेंट की पुरानी योजना है।

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