नई दिल्ली। देश के चर्चित पेगासस जासूसी कांड के मामले में सर्वोच्च अदालत में एक और याचिका दायर की गई है। राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक पदाधिकारियों की जासूसी की रिपोर्ट की अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इससे पहले अधिवक्ता एम एल शर्मा ने याचिका दायर कर मांग की थी कि न्यायालय की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच कराई जाए।
मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, राजनीतिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और पत्रकारों सहित लगभग 300 भारतीयों पर निगरानी करने के लिए किया गया था, जिसके बाद एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया और इसकी गूंज सड़क से लेकर संसद तक सुनाई दी। इससे पगले अधिवक्ता एम एल शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि पेगासस कांड गहरी चिंता का विषय है और यह भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है तथा ”व्यापक स्तर और बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना नैतिक रूप से गलत है।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करने वाले ब्रिटास ने कहा कि हाल ही में जासूसी के आरोपों ने भारत में लोगों के एक बड़े वर्ग के बीच चिंता पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि इस जासूसी का बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी करने के आरोपों की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ ने दावा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर के जरिए भारत के कुछ रसूखदार लोगों सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर, हो सकता है कि हैक किए गए हों।

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