मदरलैंड संवाददाता,
मोतीहारी/डुमरीयाघाट:- एक तरफ पूरा देश कोरोनावायरस से जूझ रहा है। केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकार का पूरा प्रशासनिक अमला कोरोनावायरस को मात देने के लिए रात दिन कदमताल कर रहा है। वहीं प्रखंड के सरोत्तर गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए तारनहार की बाट जोह रहा है। इस संकट के समय में जहां इंसानों की चिकित्सा होनी चाहिए वहां पशुओं ने अपना स्थायी बसेरा बना लिया है।खंडहर में तब्दील हो चुके पुराने भवनों की जगह लाखों करोड़ रूपए खर्च कर सरकार ने जनस्वास्थ की रक्षा के लिए नये भवनों का निर्माण कराया। जिससे जनता में सुलभ व सरल स्वास्थ रक्षा कि आस जगी। लेकिन लालफीताशाही ने सरकार के मंसूबे पर पलिता लगा दिया। जानकारी के मुताबिक इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में ना तो कभी डाक्टर आते हैं और ना ही कोई चिकित्सा कर्मी यहां का रूख करता है। जिसके कारण जनता को छोटी छोटी बिमारियों को दिखाने के लिए भी प्रखंड मुख्यालय से लगभग तेरह किलोमीटर दूर केसरिया जाना पड़ता है या फिर पैंतीस किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय मोतीहारी का रूख करना पड़ता है। क्षेत्र के समाजसेवी श्रीकांत पाण्डेय ने पहल करते हुए इसके सुधार के लिए प्रखण्ड से जिले व राज्य तक के अधिकारियों व नेताओ से गुहार लगाई परंतु नतीजा ढाक के तीन पात रहा। जनता ने कई बार आंदोलन भी किया लेकिन स्थानीय पदाधिकारी पर बेअसर रहा। इस संदर्भ में लोगों ने पी एम ओ को भी ट्वीटर पर अवगत कराया था।जिसके आलोक में पी एम ओ ने बिहार सरकार को पत्र के माध्यम से दिशा-निर्देश दिये थे। लेकिन अभी भी समस्या जस की तस बनी हुई है।

















