नई दिल्ली। सरकार की नई रक्षा खरीद प्रक्रिया डीएपी में लीज पर सैन्य हथियारों की खरीद, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी आईसीटी प्रणाली की खरीद और अनुबंध प्रबंधन जैसे मुद्दों पर पांच अध्याय को शामिल किया गया है। डीएपी में नए अध्यायों में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन, आयुध निर्माणी बोर्ड और रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा तैयार उपकरणों की खरीद के साथ ही सरल पूंजीगत खरीद प्रक्रिया जैसे विषयों को शामिल किया गया है। रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक खरीद अपूर्व चंद्रा ने बताया कि नई डीएपी में रक्षा उपकरणों को लीज पर लेने की प्रक्रिया को भी रखा गया है क्योंकि इसे लेना सस्ता पड़ता है। उन्होंने कहा, अगर हम उपकरणों की खरीदारी करें तो इसे बनाए रखने के लिए बहुत सारी आधारभूत संरचना तैयार करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि जब हम लीज पर उपकरण लेते हैं तो हमें फायदा होता है क्योंकि विदेशों में ब्याज दर काफी कम है । इस साल मार्च में डीएपी के पहले प्रारूप में किफायती मूल्यों पर रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए पट्टा प्रक्रिया की एक श्रेणी शुरू की गयी थी। दूसरे प्रारूप में एक पूरे अध्याय में इसकी शर्तों, खरीद प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा कि आईसीटी सिस्टम और उत्पादों की खरीद पर नए अध्याय से भारत को सॉफ्टवेयर क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए तैयार करना है। उन्हेांने कहा कि अनुबंध पश्चात प्रबंधन पर अध्याय में उपकरणों को नुकसान और निरीक्षण जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। इसका प्रारूप 28 जुलाई को जारी किया गया था। इसमें कहा गया है कि डीआरडीओ, ओएफबी और रक्षा उपक्रमों से उपकरणों की खरीद पर अध्याय को शामिल किया गया है । इससे स्वदेशी प्रौद्योगिकी क्षमता को बढ़ावा मिलेगा साथ ही भारतीय उद्योगों के जरिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी के साथ ‘मेक इन इंडिया पहल को प्रोत्साहन मिलेगा। भारत को वैश्विक रक्षा निर्माण का केंद्र बनाने के मकसद के साथ समय से रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए डीएपी को जारी किया जाता है। डीएपी पांच साल के लिए तैयार की गई है। अंतिम डीएपी 2016 में जारी की गयी थी।