नई दिल्ली । फैस्टिव सीजन का आगाज अक्टूबर आते ही हो जाता है। अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी कई ई-कॉमर्स कंपनियां बंपर फ़ेस्टिवल सेल की घोषणा कर चुकी है। लेकिन व्यापारी संगठन कैट ने केंद्रीय वित्त और कंपनी मामलों के मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर इस फेस्टिवल सेल पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की मांग की है। कैट ने तर्क दिया है कि ये ई कॉमर्स कंपनियां जीएसटी और आयकर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे है। नियमों के उल्लघंन की जांच के लिए केंद्र सरकार को एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया जाना चाहिए। उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए फ्लिपकार्ट ने 16 अक्टूबर से और अमेजन ने 17 अक्टूबर से बंपर फेस्टिवल सेल की घोषणा की है। कैट ने दावा किया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों का यह कदम भारत सरकार के एफडीआई नियमों का खुला उल्लघंन है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि त्यौहारी सीजन में इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दी जा रही बंपर सेल के तहत सामानों को वास्तविक मूल्य से भी कम मूल्य पर बेचा जा रहा है। ये कंपनियां विभिन्न सामानों पर 10 से 80 फीसदी तक छूट दे रही है। जबकि सामानों पर जीएसटी बिक्री मूल्य पर लिया जाता है ऐसे में सरकारी खजाने पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा। अगर सामानों को वास्तविक मूल्य पर बेचा जाता है तो सरकारों को अधिक जीएसटी कलेक्शन होगा। कैट ने कहा कि इन कंपनियों में निवेश कर रहे निवेशक ही छूट दे रहे है जिसका खामियाजा सरकारों को भुगतना पड़ रहा है। पिछले कई सालों से घाटे में चल रही ये ई-कॉमर्स कंपनियां लगातार बंपर छूट दे रही है। सवाल उठता है कि घाटे में चल रही कोई कंपनी कैसे इतना छूट दे सकती है। यह जांच का विषय है। कैट का दावा है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां सिर्फ बिजनेस टू बिजनेस डील करने के लिए अधिकृत है जबकि जांच एजेंसियों के आंखों मे धूल झोंककर ये कंपनियां भारत में बिजनेस टू कंज्यूमर डील करने लगी है। हैरानी ये है कि सरकार ने इनके खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है। केंद्रीय मंत्रियों को लिखे चिट्ठी में जिक्र किया गया है कि देश के व्यापारी ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नहीं है और ना ही किसी स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा करने से डरती है लेकिन सभी को एक समान प्लेइंग फील्ड मिलना चाहिए।