नई दिल्ली। भारत 15 अगस्त को आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा था। उसी दिन अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के लड़ाकों ने कब्जा कर लिया।राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा। काबुल में हर जगह हथियारों से लैस तालिबान के लड़के दिखने लगे। हालांकि एयरपोर्ट को अमेरिकी सेना ने अपने कंट्रोल में ले लिया। बाइडने ने पहले ही अफगान में तैनात अपने सैनिकों को वापस बुलाने की अंतिम तारीख 31 अगस्त तय की थी। तय समय से पहले ही सैनिकों के अंतिम जत्थे ने काबुल छोड़ दिया। अमेरिका के अंतिम विमान के उड़ान भरने के साथ ही तालिबान ने अफगानिस्तान के पूरी तरह स्वतंत्र होने की घोषणा कर दी। तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने मंगलवार तड़के कहा, ”सभी अमेरिकी सैनिक काबुल हवाईअड्डे से रवाना हो गए हैं और अब हमारा देश पूरी तरह स्वतंत्र है। अमेरिका ने भी मंगलवार की समय-सीमा से पहले अपने सैनिकों की वापसी की पुष्टि की है, जिसके साथ ही, इस युद्धग्रस्त देश में करीब 20 साल की अमेरिकी सैन्य मौजूदगी समाप्त हो गयी है। तालिबान के लड़ाकों ने अमेरिकी विमानों को सोमवार देर रात रवाना होते देखा और फिर हवा में गोलियां चलायी और अपनी जीत का जश्न मनाया। काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर तैनात तालिबान के एक लड़ाके हेमाद शेरजाद ने कहा, आखिरी पांच विमान रवाना हो गए हैं और अब यह अभियान समाप्त हो गया है। अपनी खुशी बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है… हमारे 20 साल का बलिदान काम आया।” अमेरिका सेंट्रल कमान के जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने भी वाशिंगटन में अभियान सम्पन्न होने की घोषणा की और बताया कि काबुल हवाईअड्डे से देर रात तीन बजकर 29 मिनट (ईस्टर्न टाइम ज़ोन) पर आखिरी विमानों ने उड़ान भरी।

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