यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका शोधकर्ताओं की टीम ने एक ऐसा उपाय विकसित किया है, जिसके माध्यम से रक्त वाहिकाओं से लैस 3डी प्रिंटेड स्किन तैयार की जाती है। यह खोज बायोप्रिंटिंग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस तरह से निर्मित किए गए ऊतक सजीव ऊतकों के बहुत करीब हो सकते है। आज के समय में 3डी प्रिंटिंग के जरिये बायोमेडिकल पार्ट बनाने के लिए कोशिकाओं, उनके बढ़ने के कारकों और अन्य बायोमैटेरियल्स का उपयोग किया जाता है।

भारतीय मूल के शोधकर्ता का क्या है कहना?
रिसर्चर की टीम का नेतृत्व करने वाले भारतीय मूल के शोधकर्ता और अमेरिका के रेनसेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर पंकज करांडे ने कहा कि अभी तक हमारे पास घावों की चिकित्सा के लिए जो उत्पाद (त्वचा) हैं, वे किसी फैंसी एड की तरह दिखाई पड़ते हैं क्योंकि यह घाव भरने में तो मदद करती है, लेकिन उसके बाद अपने आप गिर जाती है। इसकी सबसे बड़ी समस्या यही है कि इन्हें शरीर के ऊतकों के साथ जोड़ा नहीं जा सकता। टिश्यू इंजीनियरिंग पार्ट ए नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा है कि इसका एक कारण यह भी कि इस त्वचा में ‘संवहनी प्रणाली’ नहीं होती है, जिसकी मदद से रक्त और अन्य पोषक तत्वों का त्वचा में लगातार प्रवाह होता रहता है और त्वचा जीवित रह सकती है।

रिसर्चर के मुताबिक
रिसर्चर ने पाया कि यदि रक्त वाहिकाओं के अंदर रहने वाली मानव की एंडोथीलियल कोशिकाओं के आस पास रहने वाली पेरिसाइट कोशिकाओं सहित महत्वपूर्ण तत्वों को प्राणियों के कोलाजन और त्वचा प्रतिकृति के अंदर पाई जाने वाली संरचनात्मक कोशिकाओं के साथ जोड़ दिया गया तो वे संवेदनशील हो गई। अमेरिका के याले स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने जब इस संरचना को एक विशेष प्रकार के चूहों में लगाया तो 3डी प्रिंट वाली त्वचा की वाहिकाएं संवेदी हो गई थीं और चूहों की कोशिकाओं से जुड़ने लगी थीं।

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