न्यूयार्क । अमेरिका के वैज्ञानिकों ने कोरोना के एक नए वैरिएंट को विकसित कर भारी विवाद को जन्म दे दिया है। अमेरिका में बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने कोविड का एक ऐसा वेरिएंट विकसित किया है जो ओमिक्रॉन वायरस की तुलना में 5 गुना ज्यादा संक्रमण फैलाने की क्षमता रखता है लेकिन उससे भी खतरनाक बात यह है कि मानव द्वारा निर्मित इस वायरस में लोगों को मारने की क्षमता 80 प्रतिशत है। यानी अगर यही वायरस बाहर आ गया तो जितने लोगों को संक्रमित करेगा, उनमें से 80 प्रतिशत की मौत हो जाएगी। बेशक यह वायरस लैब में विकसित हुआ हो लेकिन दुनिया भर के वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर चिंता है।
बोस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस खतरनाक स्ट्रेन को कोरोना वायरस में इंजीनियरिंग करके बनाया है। रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने ओमिक्रोन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन को निकालकर इसमें मौजूद जीन को कोविड-19 के शुरुआती वेरिएंट जो सबसे पहले वुहान में मिला था, में प्रवेश कराया और उसमें इंजीनियरिंग कर नए वेरिएंट को विकसित किया। शोधकर्ताओं ने कहा है कि चूहों पर जब इसका प्रयोग किया गया तो साधारण ओमिक्रॉन का असर नॉन फेटल था। यानी इससे बहुत अधिक संख्या में चूहों की मौत नहीं हुई लेकिन जब वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ओमिक्रॉन ए वेरिएंट को चूहों में प्रवेश कराया गया तो 80 प्रतिशत चूहे मर गए। बोस्टन यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने बताया कि यह शोध अन्य जगहों पर किए जा रहे शोधों को परखने के लिए किया गया है। अंततः इसका लक्ष्य कोरोना महामारी से लड़ने में मदद करेगा और कोरोना का बेहतर इलाज सामने लाएगा।
खबर के मुताबिक इजरायल के प्रमुख वैज्ञानिक सैमुअल शापिरा ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि इस काम को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि ये लोग आग से खेल रहे हैं। जर्मनी के रूतगर्स यूनिवर्सिटी के डॉ रिचर्ड इबराइट ने बताया कि अगर हम एक अगली लैब आधारित महामारी से बचना चाहते हैं, तो इसके लिए यह जरूरी है कि महामारी से बचने की दिशा में शोध को प्रोत्साहित करें न कि नया स्ट्रेन बनाने में अपनी ऊर्जा खर्च करें। एक वैज्ञानिक ने कहा कि सरकार कहती ह कि कानून का पालन करने वाले लोगों के पास बंदूक या शॉटगन नहीं हो सकता। ये बहुत ज्यादा खतरनाक है। पर सच्चाई यह है कि ये लोग सचमें घातक वायरस में इंजीनियरिंग कर रहे हैं।

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