काबुल। अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेनाओं की वापसी होते ही तालिबान की हिंसक कार्रवाइयों में तेजी आ गई है। तालिबानी आतंकियों ने अपने विरोधी नॉर्दन एलायंस के गढ़ पंजशीर की घाटी पर भीषण हमला किया है। प्रारंभिक खबरों में बताया गया है कि इस हमले में दोनों पक्षों के कई लोग मारे गए हैं। नार्दर्न अलायंस ने दावा किया कि है कि उसके लड़ाकों ने तालिबान का हमला विफल कर दिया है, जबकि तालिबान ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
पंजशीर घाटी में तालिबान के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजाने वाले ताजिक नेता अहमद मसूद के करीबी सूत्रों ने बताया कि तालिबान आतंकियों ने मंगलवार शाम को पंजशीर घाटी में उनकी एक चौकी पर बड़ा हमला किया है।
मसूद के करीबी ने बताया कि उनके लड़ाकुओं ने तालिबानी हमले को विफल कर दिया है। दोनों पक्षों के बीच छिटपुट जंग शुरू हो गई है। तालिबान ने अभी तक इस हमले के बारे में कोई टिप्‍पणी नहीं की है। सूत्रों के अनुसार तालिबान का यह हमला जाबुल सिराज इलाके में हुआ है, जो परवान प्रांत का हिस्‍सा है। खबरों के मुताबिक इस हमले में कई लड़ाके मारे गए हैं और घायल हुए हैं।
तालिबान ने पंजशीर घाटी को चारों ओर से घेर रखा है। सभी तरह की आपूर्तियां व इंटरनेट जैसी सुविधाओं को बंद कर दिया है, ताकि अहमद मसूद के समर्थक बाकी दुनिया से संपर्क न कर सकें। पूर्व उप राष्‍ट्रपति अमरुल्‍ला सालेह भी पंजशीर की घाटी में ही डटे हुए हैं और यही से तालिबान के खिलाफ जंग का संचालन कर रहे हैं। इससे पहले खबरें आई थीं कि तालिबान आतंकियों और अहमद मसूद के बीच समझौते को लेकर बातचीत चल रही है।
अब यह बातचीत विफल होती दिख रही है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद, अमरुल्लाह सालेह ने देश के संविधान के अनुसार खुद को अफगानिस्तान का वैध कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था। हालांकि, सालेह के दावे को अभी तक किसी भी देश या अंतरराष्ट्रीय निकाय जैसे संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता नहीं दी है। उन्होंने ट्वीट कर कहा भी था कि मैं कभी भी और किसी भी परिस्थिति में तालिबान के आतंकवादियों के सामने नहीं झुकूंगा।
मैं अपने नायक अहमद शाह मसूद, कमांडर, लीजेंड और गाइड की आत्मा और विरासत के साथ कभी विश्वासघात नहीं करूंगा। मैं उन लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा जिन्होंने मेरी बात सुनी। उन्होंने कहा कि मैं तालिबान के साथ कभी भी एक छत के नीचे नहीं रहूंगा।
उल्लखनीय है कि पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिसपर आजतक तालिबान का कब्जा नहीं हो सका है। सन 1996 से 2001 के इस्लामिक अमीरात के शासन के दौरान भी पंजशीर तालिबान के लिए एक नासूर बना रहा। तालिबान ने कहा था कि पंजशीर के स्थानीय राज्य के अधिकारियों ने इसे शांतिपूर्वक सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद से हमें अपने लड़ाके भेजने पड़े हैं। जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, तभी से पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाके जुटना शुरू हो गए हैं।
बताया जाता है कि इनमें सबसे ज्यादा संख्या अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की है। इस गुट का नेतृत्व नॉर्दन एलायंस ने चीफ रहे पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है।

Previous articleतालिबान बोला, अमेरिकी सैनिकों की वापसी अफगानियो की जीत, दुनिया के साथ चाहते हैं बेहतर संबंध
Next articleकाबुल से आखिरी अमेरिकी विमान रवाना होते ही तालिबान ने मनाया जश्न, कहा बधाई हो, हम आजाद

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here