अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मामले में 37वें दिन मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने बहस की शुरुआत की। राजीव धवन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 142 के तहत मिली अपरिहार्य शक्तियों के तहत दोनों ही पक्षों की गतिविधियों को ध्यान में रखकर इस केस का निपटारा करे।

राजीव धवन ने कहा कि, इस मामले में मस्जिद पर जबरदस्ती कब्जा किया गया। लोगों को मजहब के नाम पर उकसाया गया। रथ यात्रा निकाली गई। लंबित मामले में दबाव डाला गया। मस्जिद ध्वस्त की गई और उस समय सीएम रहे कल्याण सिंह ने एक दिन की जेल अवमानना के कारण काटी। अदालत से गुजारिश है कि सभी घटनाओं को ध्यान में रखें। धवन ने आगे कहा कि, हम कैसे देखते हैं कि इतिहास महत्वपूर्ण है। केके नय्यर के खिलाफ लगे इल्जाम पब्लिक डोमेन में हैं। गलत तरीके से इल्जाम लगाए गए हैं, एक व्यक्ति को भी वहां पर सोने तक की अनुमति नहीं थी। मस्जिद वह है जहां कोई अल्लाह का नाम लिया जाता है। नमाज अदा की जाती है।

इस पर न्यायमूर्ति बोबड़े ने कहा कि क्या मस्जिद दैवीय है? राजीव धवन ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह हमेशा से ही दैवीय रहती है। इसके बाद न्यायमूर्ति बोबड़े ने पूछा कि क्या यह अल्लाह को समर्पित होती है? इस पर धवन ने कहा कि हम दिन में 5 बार नमाज अदा करते हैं, अल्लाह का नाम लेते हैं, ये अल्लाह को समर्पित ही है।

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