मदरलैंड संवाददाता, अररिया

अररिया – बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति जिला इकाई अररिया के तत्वावधान में हड़ताल समीक्षा को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक हुई । बैठक में हड़ताल पर संतोष व्यक्त किया गया ।  दावा किया गया कि अररिया जिले में हड़ताल अबतक शत प्रतिशत सफल चल रहा है। 95 प्रतिशत शिक्षक अब भी हड़ताल में बने हुए हैं। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जबतक सरकार शिक्षक प्रतिनिधियों से सम्मानजनक वार्ता नहीं कर लेती, अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगा। समन्वय समिति ने बैठक के माध्यम से अपील की है कि सरकार के किसी भी गिदड़ भभकी से शिक्षकों को डरने की आवश्यकता नहीं है। चट्टानी एकता के साथ हड़ताल में बने रहें जल्द ही साकारात्मक परिणाम आने की संभावना है ।

 बिहार सरकार की गलत नीतियों ने शिक्षक के सम्मानित पद को ठेका प्रथा में रखकर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने का कार्य कर रही है । सम्मानित पगार सभी का मौलिक अधिकार है। मगर आज की सरकार श्रमिकों के शोषण को परम धर्म मान चुकी है। जबकि सरकार भूल रही है कि इसी शोषण एवं उत्पीड़न के खिलाफ शिकांगो में एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई थी और जीत हासिल की थी। तबसे दुनिया की सरकारें मजदूर दिवस पर श्रमिकों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करतीं आ रही हैं। मगर बिहार सरकार के द्वारा श्रमिकों के प्रति उदासीन होना चिंता का विषय है। इसपर श्रम मंत्रालय को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।

अध्यक्ष मंडली सदस्यों ने कहा कि विडंबना ये है कि 17 फरवरी से जारी शिक्षकों की हड़ताल लगभग 75 दिनों से अधिक पूरे करने जा रही है और सरकार संवेदनहीन बनीं हुईं है। जबकि समन्वय समिति ने अपनी ओर से सरकार को ये साफ़ कर दिया है कि सरकार दमनात्मक कार्रवाई को वापस लेने एवं हड़ताल अवधि के वेतन का भुगतान का घोषणा कर समन्वय समिति से सम्मानजनक वार्ता करे ताकि इस गंभीर स्थिति में हड़ताल को समाप्त कराया जा सके। अध्यक्ष मंडली सदस्यों ने आगे कहा की शिक्षा विभाग बिल्कुल तानाशाही रवैए में काम करने कि आदी हो चुकी है और वो प्रतिदिन नई नई चिट्ठियां निकाल कर शिक्षकों को धमकाते का कार्य कर रही है। शिक्षा विभाग को भ्रम है कि दमनात्मक कार्रवाई से शिक्षक झूक जायेंगे और हमें अपनी नाकामियों को छुपाने का मौका मिल जाएगा, जो उसका एक सपना है। सदस्यों ने एक स्वर से कहा कि हड़ताल शिक्षा विभाग की नाकामयाबियों का ही परिणाम है।

अध्यक्ष मंडली सदस्यों ने कहा की पांच वर्षों में भी शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली अधिसूचित नहीं किया जो सरकार की बहुत बड़ी नाकामी को दर्शाती है। इस नाकामी को शिक्षा विभाग छुपाता जा रहा है वहीं कोरोना के इस वैश्विक संकट में भी शिक्षक सरकार के साथ खड़े हैं। जिस स्कूल में क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है वहां पर पीड़ितों का मानवता के आधार पर शिक्षक सेवा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार की मानवीय संवेदना शुन्य हो गयी है। माननीय शिक्षा मंत्री हड़ताल से वापस आने की अपील तो करते हैं मगर वार्ता की बात नहीं करते हैं। सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए आज मंत्री परिषद की व अन्य बैठकें भी हो रही हैं तो क्या हड़ताल जैसी गंभीर समस्या का समाधान सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर नहीं हो सकती है।लोकतांत्रिक व्यवस्था में वार्ता नहीं करना कहां तक उचित है। समन्वय समिति ने मांग की है कि शिक्षा मंत्री वार्ता कर जल्द से जल्द हड़ताल को समाप्त करवायें अन्यथा हड़ताल जारी रहेगा ।

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