वाराणसी। भाजपा में शामिल हुए पूर्व आईएएस अरविंद कुमार शर्मा को पार्टी क्या जिम्मेदारी देगी यह दो-एक दिन में साफ हो जाएगा लेकिन जिस ऊर्जा से लबरेज़ पूर्वांचल के पार्टी पदाधिकारियों और समर्थकों के साथ वह पार्टी में शामिल हुए, वह साफ संकेत दे रहा है कि पार्टी ने उनके जरिये एक तीर से कई निशाने साधने का एजेंडा तय किया है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि उनके जरिये पूर्वांचल में जहां भूमिहार जाति के बीच संदेश देने की कोशिश की गई है, वहीं उनके लंबे प्रशासनिक अनुभव के जरिये पार्टी चुनावी साल में विकास कार्यों को और तेजी देने के साथ ही कार्यकर्ताओं में प्रशासनिक अमले को लेकर व्याप्त शिकायतों को दूर करने की कोशिश करने की तैयारी में दिख रही है। अरविंद कुमार शर्मा भूमिहार जाति से हैं। वैसे तो मौजूदा भाजपा मंत्रिमंडल में दो बड़े भूमिहार नेता के रूप में कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही और बलिया से मंत्री उपेंद्र तिवारी भूमिहार जाति से हैं। कभी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल रहे पूर्व सांसद मनोज सिन्हा के जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने के बाद से पूर्वांचल में भूमिहारों के कद्दावर व सक्रिय नेता की कमी खल रही थी। सियासी जानकारों का कहना है कि श्री शर्मा के जरिये पार्टी पूर्वांचल में एक कद्दावर भूमिहार नेता के रूप में सक्रिय कर सकती है। पार्टी को इसका लाभ मिलना तय माना जा रहा है खासतौर पर गाजीपुर, वाराणसी, मऊ, देवरिया आदि क्षेत्रों में आने वाले समय में इसका असर दिखना तय है। अरविंद शर्मा चूंकि वाराणसी और आसपास के इलाके में तेजी से हुए विकास में मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं। पीएमओ में रहते हुए उन्होंने वाराणसी में विकास कार्यों को समय से पूरा कराने का भी काम किया। पार्टी के बड़े नेताओं का मानना है कि श्री शर्मा पूर्वांचल के विकास पर खास ध्यान दें तो हैरत नहीं। वह पूर्वांचल के सामाजिक और आर्थिक मंजर से भली-भांति वाकिफ़ हैं। वैसे कार्यकर्ताओं से बातचीत में भी अरविंद शर्मा ने कुछ ऐसी ही मंशा जाहिर की। वह गुजरात में भी विभिन्न विकास परियोजनाओं से जुड़े रहे और उद्योगपतियों को वक्त पर सहूलियतें दिलाने में उनकी कार्यशैली गुजरात सरकार के लिए कारगर सिद्ध हुई थी, इन्हीं कारणों ने उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सबसे करीबी अधिकारी बना दिया था। कहना गलत न होगा कि पार्टी कार्यकर्ता लंबे अरसे से जिलों में पुलिस व प्रशासन द्वारा अपनी समस्याएं न सुनने की शिकायतें करते रहे हैं। संगठन में होने वाली बैठकों और सरकार के आला अधिकारियों से भी विधायक-सांसद शिकायत करते रहे हैं कि कई जिलों में अधिकारी उनकी सुनते नहीं। कुछ की तो दूसरे दलों में निष्ठा है और वे जिलों में तैनात हैं। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि अरविंद शर्मा को लंबा प्रशासनिक अनुभव है। ऐसे में वह शीर्ष नेताओं के करीबी होने के नाते पार्टी कार्यकर्ताओं और प्रशासन के बीच सेतु बनने का काम करें तो आश्चर्य नहीं। वैसे भी चुनावी साल में कार्यकर्ताओं को साधने के लिए पार्टी संगठन इन दिनों पहले से ज्यादा संजीदा नज़र आ रहा है।
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