• लश्कर, जेईएम, अल-बद्र के आतंकी घाटी में सक्रिय किए

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के रूप में पाकिस्तान की रणनीति सफल हो गई है। इससे वह बेहद खुश है। तालिबान का जल्द से जल्द पूरे देश पर कब्जा हो जाए इसके लिए तालिबान से कहीं पाकिस्तान प्रयत्नशील रहा। तालिबान जब पंजशीर घाटी में विद्रोही नार्दर्न अलायंस को काबू में नहीं कर पा रहा था तो पाकिस्तान ने बाकायदा अपनी सेना उसकी मदद के लिए भेजी और आईएसआई प्रमुख को पंजशीर फतह की जिम्मेदारी सौंपी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार बदले हालात में आईएसआई जम्मू-कश्मीर में अधिक आक्रामक रणनीति पर काम कर सकता है। इस रणनीति के तहत अफगानिस्तान के तालिबान के अधिग्रहण से पहले ही आईएसआई सक्रिय है। पाक पोषित आतंकवादी संगठन लश्कर, जेईएम और अल-बद्र के आतंकवादियों को आईएसआई पिछले दो महीनों से जम्मू कश्मीर भेजने में जुटी है।
भारतीय केंद्रीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्र ने बताया कि वर्तमान समय में जम्मू-कश्मीर में लगभग 200 आतंकवादी सक्रिय हैं। जिनमें विदेशी और स्थानीय आतंकवादी दोनों शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो आईएसआई के निर्देश के बाद वो किसी खतरनाक घटना को अंजाम दे सकते हैं।
आईएसआई के मंसूबों को देखते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। आईएसआई के प्रयासों को बेअसर करने के लिए भारतीय सुरक्षा बलों ने सीमा ग्रिड को और मजबूत कर दिया है, साथ ही पाकिस्तान बॉर्डर पर निगरानी बढ़ा दी है। घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को कश्मीर के गांवों में आसानी से कोई ठिकाना न मिले इसके लिए खास नजर रखी जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि इस साल जनवरी से अब तक करीब 500 ओवरग्राउंड कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि हम और अधिक संदिग्ध लोगों पर नजर बनाए हुए हैं। जिनमें से कुछ खुद को राष्ट्रवादी के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं आने वाले दिनों में उन पर कार्रवाई होगी। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया कि भारतीय एजेंसियां पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ और आतंकी लॉन्चपैड के एक्टिव होने को अफगानिस्तान में होने वाली घटनाओं से जोड़कर नहीं देखती। उनका कहना है कि यह आईएसआई के गेमप्लान का हिस्सा है।
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ओर ब्लैकलिस्ट किए जाने के डर से आईएसआई अलग तरीके से काम कर रही है। हालांकि तालिबान और इसकी पश्चिमी सीमा पर सक्रिय समूहों के साथ आईएसआई के गठजोड़ के कारण अमेरिकी सेना के साथ-साथ अफगानिस्तान से प्रशिक्षित आतंकवादी कैडरों द्वारा छोड़े गए कुछ हथियारों और सैन्य उपकरण वाकई चिंता का विषय है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस सूत्रों का कहना है कि जुलाई से उत्तरी कश्मीर और जम्मू क्षेत्र में सीमा पर घुसपैठ तेज हो गई है। बांदीपुर, कुपवाड़ा और बारामूला में आतंकी लॉन्चपैड और घुसपैठ के रास्तों पर सक्रियता बढ़ी है जबकि आतंकवादी गतिविधियां ज्यादातर दक्षिण कश्मीर में केंद्रित हैं। एक सूत्र ने बताया कि विदेशी आतंकवादी और नशीले पदार्थों के तस्कर आमतौर पर उत्तरी कश्मीर से घुसपैठ करते हैं और दक्षिण आने से पहले वो वहां के ठिकानों पर छिपे रहते हैं।

 

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