पत्रकारों के वैश्विक नेटवर्क आईपीआई ने मंगलवार को उत्तरपूर्वी दिल्ली में पिछले सप्ताह सांप्रदायिक हिंसा के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमले की निंदा की और इसे पत्रकारों की स्वतंत्रता और सुरक्षा का घोर उल्लंघन बताया। प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संपादकों, मीडिया अधिकारियों और पत्रकारों के एक नेटवर्क, वियना स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आईपीआई) ने सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
एक बयान में आईपीआई के एडवोकेसी निदेशक रवि आर प्रसाद ने कहा कि पिछले सप्ताह हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले मीडिया को इसके बारे में रिपोर्ट करने से रोकने का एक प्रयास था, जो प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा का घोर उल्लंघन है। हिंसा में जेके 24एक्स7 न्यूज के एक पत्रकार को गोली लगी जबकि पिछले सप्ताह संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) पर सांप्रदायिक हिंसा के दौरान एनडीटीवी के दो पत्रकारों को दंगाइयों ने पीटा था। हिंसा के दौरान कई अन्य पत्रकारों से मारपीट की गई। इस हिंसा में 42 लोगों की मौत हो गई। उत्तरपूर्वी दिल्ली में पिछले सप्ताह हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में अब तक लगभग 1,300 लोगों को गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया है।