नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि चीन की आक्रामक कूटनीति (वुल्फ वरियर डिप्लोमेसी) भारत के अनुभवों के हिसाब से अब सैन्य शक्ति के प्रदर्शन से आगे निकलकर हावी होने की स्थिति में पहुंच गई है। ऐसे में भारत को अपनी रक्षा की उचित तैयारियां करते हुए बीजिंग के साथ कुशल कूटनीति के जरिए शांति सुनिश्चित करनी चाहिए। वैश्विक नेतृत्व पर आयोजित ‘इंडिया ग्लोबल फोरम सत्र के दौरान पूर्व विदेश राज्य मंत्री यह भी कहा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के तहत चीन ‘अच्छे अवसरों की प्रतीक्षा करने वाले उस रुख में बदलाव कर रहा है जो आधुनिक चीन के शिल्पी कहे जाने वाले नेता डेंग श्याओपिंग के तहत अपनाया गया था क्योंकि वह चाहते थे कि चीन प्रगति करे और मजबूत एवं समृद्ध बने, लेकिन विनम्र रहे। पिछले साल गलवान घाटी में चीनी सैनिकों की आक्रमता को विफल करने के दौरान झड़प में 20 भारतीय जवानों के शहीद होने की घटना का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि यह कोई छोटा मामला नहीं था क्योंकि इस घटना से पहले करीब आधी सदी भारत-चीन सीमा पर शांति थी। लोकसभा सदस्य ने कहा, ”चीन अचानक से हमारे क्षेत्र में घुस गया हमारे सैनिकों ने विनम्रतापूर्व उन्हें जाने के लिए कहा और फिर उन्हें (भारतीय जवानों) मार दिया गया।” पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया, ”इसलिए भारतीय अनुभवों में चीन की आक्रामक कूटनीति बयानबाजी से आगे निकल गई है और यह शक्ति प्रदर्शन से आगे बढ़कर हावी होने तक पहुंच गई है। इसे हम हल्के में लेने का जोखिम मोल नहीं ले सकते। आपको बता दें कि ”वुल्फ वरियर डिप्लोमेसी” शब्दावली का उपयोग चीन के राजनयिकों के टकराव वाले बयानों के संदर्भ में किया जाता है। थरूर ने कहा कि भारत को अपनी रक्षा की उचित तैयारियां करने के साथ चीन के साथ कुशल कूटनीति के जरिए शांति सुनिश्चित करना चाहिए।

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