इसमें कोई संदेह नहीं कि राजधानी दिल्ली सहित देश के दूसरे तमाम इलाकों में आतंकवादियों का सामना करने के लिए सुरक्षा बलों की तैयारी ऐसी है कि वे किसी भी आतंकी गतिविधि का सामना और उसे नाकाम कर सकते हैं। फिर भी यह चिंता की बात है कि सीमाई इलाकों में घुसपैठ के बाद अब आतंकियों के दिल्ली तक में आ धमकने की खबर दूसरी बार आई है। अभी कुछ दिन पहले राजधानी में पुलिस की मुस्तैदी से धौलाकुआं के पास से आतंकी पकड़े गए थे। अब एक बार फिर आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को पकड़ा गया है। दोनों आतंकी जम्मू-कश्मीर के निवासी हैं। उनके कब्जे से 10 जिंदा कारतूस के साथ दो सेमी ऑटोमेटिक (अर्ध-स्वचालित) पिस्तौल बरामद की गई है। बताया जा रहा है कि ये दोनों दिल्ली में एक बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे। ये दिल्ली में धमाका करना चाहते थे। दिल्ली पुलिस को इन दोनों आतंकियों के बारे में इनपुट मिला था। इसके बाद इन्हें पकडऩे के लिए जाल बिछाया गया। सोमवार रात 10.15 बजे जैश-ए-मोहम्मद के इन दोनों आतंकियों को सराय काले खां के मिलेनियम पार्क के पास से धर दबोचा गया। आतंकियों के पास से हथियार बरामद हुए हैं। पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार हुए आतंकियों की पहचान जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले के सोपोर के रहने वाले अब्दुल लतीफ और कुपवाड़ा जिले के हट मुल्ला गांव के रहने वाले अशरफ खाताना के तौर पर हुई है। मिली जानकारी के अनुसार, आतंकियों की उम्र 20 से 22 साल के बीच है। दोनों सराय काले खां में किराए के मकान में रह रहे थे। इनकी साजिश दिल्ली-एनसीआर को दहलाने की थी। कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन की वजह से आतंक के आकाओं ने इन्हें दिल्ली भेजा था। इनके निशाने पर कई वीआईपी लोग थे। इन्होंने पूछताछ में बताया कि वे ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान जाना चाहते थे। उन्होंने सीमा पार करने की नाकाम कोशिश की थी। इन आतंकियों के पास से विस्फोटक और दस्तावेज बरामद हुए हैं।
पिछले साल जब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के संदर्भ में जो फैसला लिया गया था, तभी से यह आशंका जताई जा रही थी कि इसके बाद वहां के आतंकी संगठनों की ओर से प्रतिक्रिया आ सकती है। अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास होने के बाद तो सरकार ने आतंकी घटनाओं को लेकर पूरे देश में सतर्कता बरतने की बात कही थी। यह किसी से छिपा नहीं है कि सीमापार से भारतीय इलाकों में घुसने की लगातार कोशिशों को सुरक्षा बलों ने किस तरह से नाकाम किया है। खासतौर पर पिछले कुछ समय से कश्मीर में घुसपैठ के मौके नहीं मिल पाने की वजह से आतंकवादियों के बीच हताशा का माहौल है। हाल के दिनों में यह साफ होकर उभरा है कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के सरगना अपने पाकिस्तान स्थित ठिकानों से भारत में आतंकी गतिविधियां संचालित करते हैं। लेकिन भारत की तरफ से बार-बार इस ओर ध्यान दिलाने और शिकायत के बावजूद पाकिस्तान ने ऐसी कोई पहलकदमी नहीं की, जिससे उसकी सीमा से काम करने वाले आतंकी संगठनों को रोका जा सके। उल्टे पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मनमाने तरीके से कश्मीर का मुद्दा उठाया और भारत को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन अब तक उसे दुनिया के किसी भी देश की ओर से ठोस समर्थन मिलना मुमकिन नहीं हुआ। जाहिर है, पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के लिए इसे पचा पाना असहज है और वे भारत को दूसरे स्तर पर नुकसान पहुंचाने की मंशा रखते हैं। राजधानी दिल्ली में आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश इसी पृष्ठभूमि क नतीजा हो सकती हैं। इन आशंकाओं के मद्देनजर जरूरत इस बात की है कि सुरक्षा-व्यवस्था चाक-चौबंद हो और कोई भी ऐसी गुंजाइश नहीं छोड़ी जाए, जो बाद में किसी असुविधा का कारण बने।

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