आत्मनिर्भर बनने और घातक रक्षा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 26 सैन्य उपकरणों को केवल घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से ही हासिल करने का फैसला किया है। यह वह देशी कंपनियां हैं जो सरकार को समय-समय पर इन उपकरणों की आपूर्ति करती रही हैं।रक्षा अधिकारियों ने बताया कि निर्मला सीतारमण के रक्षा क्षेत्र में घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ाने देने के सुधारवादी कदम का एलान करने के एक दिन बाद ही रक्षा मंत्रालय ने इस फैसले की घोषणा की है। सरकार की मंशा अब आयातित हथियारों और सैन्य मंचों पर निर्भरता खत्म करने की है।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सभी उपकरण जो घरेलू रक्षा निर्माण इकाइयों से हासिल किए जाएंगे उनकी पहचान कर ली गई है। यह सभी नौसैनिक जहाजों के निर्माण में प्रयुक्त होते हैं। अब तक रक्षा मंत्रालय ने 127 सामग्रियों को अधिसूचित किया है, जिन्हें देश की कंपनियों से खरीदा जाएगा। भविष्य में स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से ही उपकरण हासिल करने को बढ़ावा देने के लिए 127 में से 26 उपकरणों को अधिसूचित किया जा चुका है। यह अधिसूचना मेक इन इंडिया के तहत जारी की गई है।भारतीय सशस्त्र सेनाएं अगले पांच साल में 130 अरब डॉलर के हथियारों की खरीद करेंगी।

अगर आपको नही पता तो बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशीकरण पर जोर दिया है। बीते दिनों राष्‍ट्र के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने आत्‍मनिर्भरता का मंत्र दिया था।प्रधानमंत्री की पहल को देखते हुए भारतीय वायु सेना भी आठ हजार करोड़ रुपये के तीन बड़े खरीद सौदे से हाथ खींच चुकी है। वायु सेना की स्विटजरलैंड से 38 पाइलटस बुनियादी प्रशिक्षण विमान, ब्रिटेन से 20 अतिरिक्त हॉक विमान खरीदने और अमेरिकी इंजन के साथ 80 उन्नत जगुआर लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करने की योजना थी लेकिन इन सौदों को ठंडे बस्ते में डाला जा चुका है। वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया का कहना है कि वायुसेना बुनियादी प्रशिक्षण विमान खरीदने के सौदे पर आगे नहीं बढ़ रही है।

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