नई दिल्ली। आयकर विभाग ने 16 अगस्त को भारत में विभिन्न दूरसंचार कंपनियों के लिए दूरसंचार उपकरणों के व्यापार और उनकी स्थापना व सर्विसिंग में लगी एक कंपनी की तलाशी ली। उस कंपनी के कारपोरेट कार्यालय, उसके विदेशी निदेशक के आवास, कंपनी सचिव के आवास, लेखा कार्यों से जुड़े व्यक्ति और भारत में उसकी एक विदेशी सहायक कंपनी के नकद प्रबंधकर्ता (कैश हैंडलर) सहित पांच परिसरों की तलाशी ली गई। तलाशी अभियान के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि इस कंपनी द्वारा की गई खरीद पूरी तरह से उसकी होल्डिंग कंपनी से हुई थी। बिक्री के बिलों और आयात के बिलों की तुलनात्मक जांच से यह पता चला कि इन वस्तुओं के व्यापार पर भारी सकल लाभ (लगभग 30%) हुआ है, जबकि यह कंपनी पिछले कई वर्षों से भारी घाटा दर्शाती रही। इस प्रकार यह स्पष्ट हुआ कि इस कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के संबंध में फर्जी खर्चों के जरिए घाटा दर्शाया जा रहा था। कुछ ऐसे प्राप्तकर्ताओं की पहचान की गई है जिनके नाम पर पिछले कुछ वर्षों में बहुत अधिक खर्च दिखाया गया है। इन संस्थानों का उनके उल्लिखित पतों पर कोई अस्तित्व नहीं पाया गया।
उक्त संस्थान अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) भी दाखिल नहीं करते हैं। ऐसे कई और संदिग्ध संस्थानों की भी जांच की जा रही है। इस बात का अनुमान है कि पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों करोड़ रुपए के ऐसे फर्जी खर्च किए गए होंगे। तलाशी के दौरान इस कंपनी के सीईओ, सीएफओ और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के व्हाट्सएप चैट में दोषी साबित करने वाले कई सबूत मिले हैं, जो दूरसंचार कंपनियों को अवैध भुगतान करने का संकेत देते हैं। ये व्हाट्सएप चैट भारत में एक दूरसंचार कंपनी के शेयरों की खरीद के लिए ऑस्ट्रेलिया स्थित एक व्यक्ति को कमीशन का भुगतान करने का भी खुलासा करते हैं। ऐसे लेनदेन की आगे जांच की जा रही है।