नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत स्कीम में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने के लिए बड़े बदलाव की तैयारी है। सूत्रों के मुताबिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य योजना में अलग-अलग इलाज की दरें तय है और दरों में बदलाव नहीं होने की वजह से प्राइवेट सेक्टर के हॉस्पिटल इस योजना में भाग नहीं लेते हैं। इसके चलते सरकार इलाज की दरों में बदलाव करने जा रही है। आयुष्मान भारत योजना में हर परिवार को सालाना 5 लाख रुपये का फ्री हेल्थ इंश्योरेंस कवर दिया जाता है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी आयुष्मान भारत योजना की दरें तय करती है। एनएएच जल्द ही इलाज की दरों में बदलाव कर सकती हैं जिससे प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी भी बढ़े। हॉस्पिटल की दरों का स्टैंडर्डाइजेशन इस तरह से होगा कि अस्पताल ज्यादा मुनाफा नहीं कमाए, क्योंकि जन आरोग्य की इस योजना में वॉल्यूम काफी बड़े स्तर पर होता है। इसके अलावा सरकार क्लेम सेटलमेंट की प्रक्रिया को भी तेज करने के लिए एक मॉडल तैयार कर रही है जिससे हॉस्पिटल का भुगतान तुरंत किया जा सके।
जानकारी के अनुसार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 2 करोड़ लोगों का इलाज हुआ है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी से जुड़ी एक अधिकारी ने बताया कि इलाज की दरें वाजिब नहीं होने की वजह से प्राइवेट हॉस्पिटल आयुष्मान भारत स्कीम से जुड़ना नहीं चाहते हैं। जबकि, दूसरी तरफ सरकारी हॉस्पिटल के लिए भी कुछ ट्रीटमेंट तय दरों से ज्यादा हैं, लेकिन सरकारी हॉस्पिटल में बाकी इलाज मुफ्त होता है इसलिए सरकारी हॉस्पिटल को ज्यादा दिक्कत नहीं है। आयुष्मान भारत योजना से जुड़े 23,000 हॉस्पिटल में फिलहाल प्राइवेट सेक्टर की हिस्सेदारी 40 फसदी के करीब है। सरकारी अस्पतालों और प्राइवेट अस्पतालों के रेट में काफी अंतर है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी का इलाज दरों में स्टैंडर्डाइजेशन का विचार कर रही है। सरकार के इस कदम से आयुष्मान भारत में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। वहीं, प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ने से आम लोगों को फायदा होगा। मरीजों को ज्यादा से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का फ्री इलाज हो सकेगा।