विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि आरबीआई एक बार फिर नीतिगत दरों में कमी कर सकता है। यदि कटौती होती है तो ब्याज दरों में यह लगातार पांचवीं कमी होगी। जनवरी से अभी तक केंद्रीय बैंक चार बार में रेपो दर में 1.10 फीसद की कटौती कर चुका है। इससे पहले अगस्त में हुई पिछली मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 फीसद घटाकर 5.40 फीसद कर दिया था। सरकार ने आने वाले त्यौहारी सीजन में आर्थिक हालात मजबूत करने के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कटौती और कर्ज का उठाव बढ़ाने को कदम उठाए हैं।

कर्ज दरों को रेपो दर से जोड़ने का निर्देश
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास की अगुवाई में चार अक्टूबर को चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा होगी। आरबीआई ने बैंकों को एक अक्टूबर से अपनी कर्ज दरों को रेपो दर से जोड़ने का निर्देश दिया है। मौद्रिक समीक्षा बैठक से पहले दास की अगुवाई वाली वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (एफएसडीसी) उप समिति ने वृहद आर्थिक स्थिति पर विचार विमर्श किया।

ब्याज दरों में एक और कटौती तय
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के हाथ बंधे हुए हैं और अब पहल करने का काम केंद्रीय बैंक को करना है। ऐसे में ब्याज दरों में एक और कटौती तय है। सीबीआरई के चेयरमैन एवं सीईओ (भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका) अंशुमान मैगजीन ने बताया कि सरकार ने बीते कुछ सप्ताह के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में गति लाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

Previous articleलक्ष्य विजन-2030 के 16 गोल उत्तर प्रदेश में होंगे लागू : सीएम योगी
Next articleबिग बॉस 13 में ट्विस्ट एंड टर्न, इन तीन कंटेस्टेंट ने जीता लोगों का दिल

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here