मदरलैंड संवाददाता,
सीवान(मदरलैंड) ।मुफस्सिल थाना क्षेत्र के कर्णपुरा निवासी अली रज़ा की पुत्री ज़ाकिरा कुसलूम ज़हरा ने बताया कि रमज़ान इंसानियत को समझने वाला महीना है। इस महीने में रोज़ा रख के ग़रीबों की भूख-प्यास का एहसास किया जा सकता है। अल्लाह के नज़दीक सबसे पसंदीदा महीना माहे रमज़ान है। इस महीने में ग़रीबों के भूख और प्यास का एहसास होता है और लोग इस एहसास को अपनी इबादत और ज़िम्मेदारी समझते हुए ग़रीबों की मदद करते हैं ता के वो भूखा ना रह सके। ज़ाकिरा कुलसुम ने बताया के इस साल कोरोना वायरस की वजह से लोग घर पे ही इबादत कर रहे हैं और कुछ लोग ज़रूरतमन्दों तक सामान पहुँचा रहे है। इस नेक काम के लिए उन्होंने सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस जैसी महामारी के संक्रमण से बचने के लिए सरकार और चिकित्सकों के बताये निर्देशों का पालन करना चाहिये। एक दूसरे की जान बचाना भी वाजिब(अनिवार्य) है,इसलिए घर में रह कर ज़्यादा से ज़्यादा इबादत करने की अपील की।ज़ाकिरा कुलसुम ने बताया कि माहे रमज़ान में हर एक शख़्स की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं इसलिए अपने आस पास के लोगों का ख़्याल रखना चाहिये। अगर कोई ज़रूरत मन्द है तो उसकी मदद करनी चाहिए इस तरह के हर काम का शुमार इबादत में होता है। रमज़ान के इस पवित्र महीने में हमें जहाँ तक हो सके बिना अपने आस पास के ज़रूरतमन्द लोग (चाहे वो किसी भी धर्म के मानने वाले हों) उनकी ज़रूरतों को पूरी करने की कोशिश करनी चाहिये।सीवान के पत्रकार संघ को उन्होंने धन्यवाद देते हुए कहा कि हमें गर्व है कि हम सीवान ज़िला के वासी हैं जहाँ हर कोई अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए कोरोना वायरस जैसी महामारी में एक दूसरे का साथ दे रहे हैं और तमाम ऐसे भाई बन्धु जो इस महामारी में ज़रूरतमन्दों की मदद कर रहे हैं उनका हृदयपूर्वक आभार प्रकट किया।अंत में उन्होंने ने कहा के अल्लाह से ये दुआ है कि अल्लाह इस कोरोना वायरस जैसी महामारी से दुनिया को जल्द से जल्द निजात दिलाये।