नई दिल्ली। फिलहाल देश ही नहीं, दुनियाभर में पेगासस जासूसी कांड से हंगामा मचा हुआ है। भारत में विपक्षी दल पूछ रहे हैं कि क्या सरकार ने इजरायल की कंपनी एनएसओ ग्रुप से पेगासास स्पाइवेयर खरीदा था? उधर, एनएसओ ग्रुप ने 30 जून को अपनी पॉलिसी डॉक्युमेंट जारी की थी, इसमें उसने बताया था कि उसके 40 देशों में 60 ग्राहक हैं, जिनमें सरकारें और सरकारी एजेंसियां शामिल हैं। एक अंग्रेजी अखबार ने ग्रुप की पॉलिसी डॉक्युमेंट पर खबर प्रकाशित की है। पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि एनसओ के ग्राहकों में सबसे ज्याद इंटेलिजेंस एजेंसियां (51फीसदी), कानून प्रवर्तन संस्थान (38 फीसदी) और सेना (11 फीसदी) शामिल हैं। इजरायली कंपनी ने अपनी इस रिपोर्ट में यह आशंका जताई थी कि सरकारें और सरकारी एजेंसियां पेगासस का इस्तेमाल नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, वकीलों, एनजीओ आदि की जासूसी करवा सकती हैं। उसने इससे मानवाधिकारों के उल्लंघन का खतरा भी होने की चिंता जताई।
रिपोर्ट में कंपनी का दावा है कि उसने वर्ष 2020 में पेगासस के दुरुपयोग की 12 घटनाएं पकड़ी थीं। एनएसओ ने कहा कि अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के बीच पेगासस स्पाइवेयर के करीब 15फीसदी ग्राहकों को नकार दिया गया क्योंकि मानवाधिकार उल्लंघन की चिंता थी। उसका दावा है कि वर्ष 2016 से वह करीब 30 करोड़ डॉलर (करीब 22 अरब रुपये) का सौदा ठुकरा चुका है। इनमें 10 करोड़ डॉलर (करीब 7.50 अरब रुपये) के वैसे 5 ग्राहक भी थे जिन्होंने पेगासस का दुरुपयोग किया था। कंपनी ने कहा कि उसने इन ग्राहकों को अपने सिस्टम से हटा दिया। एनएसओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वो भले ही जासूसी के लिए पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री करती है, लेकिन वो इतना जरूर चाहती है कि उसके ग्राहक मानवाधिकारों का ख्याल रखें और इसका इस्तेमाल सिर्फ अपराध और आतंक के बड़े वारदातों को रोकने या उसकी जांच करने तक सीमित रहे। उसने कहा कि ग्राहकों पर नजर रख पाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट में ग्राहकों के लिए पेगासस के इस्तेमाल की रिपोर्ट मुहैया कराने की शर्त तो होती है, लेकिन इसके लिए ग्राहकों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि, अपनी तरफ से जांच में अगर किसी तरह का दुरुपयोग पकड़ में आता है तो ग्राहक को सिस्टम से डिसकनेक्ट कर दिए जाने का प्रावधान है। कंपनी ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में उसके ग्राहकों की तरफ से दुरुपयोग की सिर्फ 0.5फईसदी घटनाएं ही सामने आई हैं। एनएसओ के मुताबिक, उसने मानवाधिकार उल्लंघन, भ्रष्टाचार और अन्य कानूनी पाबंदियों के कारण 55 देशों को ब्लैक लिस्ट में डाल रखा है। रिपोर्ट कहती है कि एनएसओ ग्रुप पर इजरायली रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्सपोर्ट कंट्रोल्स एजेंसी की गहरी नजर रहती है और उसकी अनुमति से ही किसी ग्राहक को लाइसेंस दी जाती है या उसका आवेदन खारिज किया जाता है। उसने बताया कि पिछले वर्ष मिली दुरुपयोग की रिपोर्टों में 10 से 12 की पड़ताल पूरी कर ली जिनमें तीन का शक सही निकला। उसने कहा कि उसने तीन में एक ग्राहक के साथ रिश्ता तोड़ लिया जबकि अन्य दो ग्राहकों पर दूसरे तरह की कार्रवाई की गई।

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