इन दिनों देश में इतिहास को लेकर बहस छिड़ी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इतिहास को दोबारा लिखऩे की बात कहने के बाद इस बहस ने नया मोड़ ले लिया है। अब इस बहस में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू भी शामिल हो चुके हैं। नायडू ने दिल्ली में तमिल स्टूडेंट्स एसोसिएशन के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि अंग्रेजी इतिहासकारों ने इतिहास की घटनाओं को अपने अनुसार लिखा है। उन्होंने 1857 की क्रांति को कभी भी स्वतंत्रता के लिए किया गया पहला संघर्ष नहीं माना। ऐसे में इतिहास को भारतीय संदर्भों और मूल्यों के साथ दोबारा लिखने की आवश्यकता है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति नायडू ने इतिहासकारों से नए सिरे से भारतीय संदर्भों—मूल्यों के मुताबिक इतिहास लिखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश इतिहासकारों ने 1857 को महज एक ‘सिपाही विद्रोह’ लिखा है। नायडू ने कहा कि भारत के शोषण से अंग्रेजों के अपने हित जुड़े हुए थे और इसमें इतिहास उनके लिए एक मददगार उपकरण की तरह बन गया। देश की शिक्षा प्रणाली से भारतीय संस्कृति और परंपरा झलकनी चाहिए। हमारे देश में 19 हजार से अधिक भाषाएं मातृभाषा के तौर पर बोली जाती हैं।

हमें इस समृद्ध भाषा विरासत को सहेजने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि भारत एक धन्य देश है, जहां पर कई भाषाएं मौजूद हैं, हमें गर्व होना चाहिए। हर बच्चे को उसकी मातृभाषा में ही स्कूली शिक्षा दी जानी चाहिए। इससे बच्चों की सीखने की क्षमता भी बढ़ेगी और भाषाओं को संरक्षण भी मिलेगा। नायडु ने कहा कि छात्र ही भविष्य का नेतृत्वकर्ता हैं। उन्हें पढ़ाई में उत्कृष्टता हासिल करने के साथ देश के सामने आने वाले मुद्दों के लिए भी सक्रियता दिखानी चाहिए।

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