नई दिल्ली। राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने प्रख्यात डॉक्टरों, चिकित्सा विज्ञान के प्रोफेसरों और चिकित्सा जगत के दिग्गजों की एक बैठक को संबोधित किया। यह कार्यक्रम एकीकृत स्वास्थ्य और आरोग्य परिषद द्वारा आयोजित किया गया था। डॉ.हर्षवर्धन ने सबसे पहले कोविड योद्धाओं के बलिदान को याद किया और शोक व्यक्त किया। आम तौर पर बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला दिन, इस पर मेरा ज़ोर नहीं है, लेकिन इस बारे में सोचकर निराश महसूस करता हूं। हमारे चिकित्सा जगत से कई महान हस्तियों का स्वर्गवास हो गया है, इनमें से अधिकांश अपने समय से बहुत पहले ही इस दुनिया से चले गए। उनका जाना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और फिर भी बड़े पैमाने पर चिकित्सा समुदाय के लिए बहुत गर्व और प्रेरणा का विषय है। इतिहास गवाह है कि जब समय आया और मानवता को बचाने की जरूरत हुई, तो डॉक्टर ही थे जिन्होंने अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए। उन्होंने कहा कि अगर यह चिकित्सा समुदाय का अपने साथी नागरिकों की दुर्दशा के प्रति अत्यधिक करुणा का भाव नहीं होता, तो इस महामारी का प्रभाव अंततः कैसा होता, इसकी कहानी बहुत अलग और निराशाजनक होती।
उन्होंने कहा कि कई डॉक्टर अपने घरों में आराम से रहने और महामारी को देखने का विकल्प चुन सकते थे, लेकिन आप में से किसी ने भी ऐसा नहीं किया। इसके विपरीत, हमने देखा कि अनुभवी और सेवानिवृत्त डॉक्टरों ने जरूरत के इस समय में स्वेच्छा से मदद के लिए कदम बढ़ाया है। हमने उत्साही मेडिकल छात्रों को देखा, ऐसे युवा जिन्हें वयस्क हुए बमुश्किल कुछ ही वर्ष हुए होंगे, वे जोखिमों से अच्छी तरह वाकिफ हुए, राष्ट्र को एक सदी से भी अधिक समय में अपनी सबसे बड़ी चुनौती से उबरने में मदद करने के लिए तैयार हैं! उन्होंने कहा कि यद्यपि चिकित्सा पेशे को हमेशा एक महान पेशा माना गया है; और वास्तव में, कई मरीज़ डॉक्टरों को भगवान से कम नहीं मानते हैं, कोविड-19 ने इस अहसास को और अधिक मज़बूत बना दिया है। हिप्पोक्रेटिक शपथ का आह्वान करते हुए, स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हिप्पोक्रेट्स ने कहा कि जहां भी चिकित्सा की कला को प्यार किया जाता है, वहां मानवता का प्यार भी होता है।