कुमार विनोद,
मदरलैंड संवाददाता, चंडीगढ़।

 

चंडीगढ़, 7 मई: इनेलो नेता चौधरी अभय सिंह चौटाला ने प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार की ‘राइस शूट नीति’ पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि ये किसानों को बर्बाद करने का सरकारी तुगलकी फरमान है। यह नई नीति इसलिए लागू की गई है ताकि किसान धान की फसल ही न लगा सके। अभी तो प्रदेश का किसान ‘कोरोना कहर’ से ही जूझ रहा है, किसान को अभी तक गेहूं और सरसों के पूरे भाव भी नहीं मिल पाए हैं, ऊपर से कभी किसानों को धान न लगाने तो कभी पूरी फसल मंडियों में न लाने के फरमान जारी किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि ‘राइस शूट नीति’ पूर्व में बनाई तो इसलिए गई थी कि प्रदेश सरकार पहाड़ों में हुई बारिश से अतिरिक्त पानी का सदुपयोग कर सके ताकि किसानों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके।
इनेलो नेता ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार ने कभी भी किसानों के हित में सकारात्मक कदम नहीं उठाए व किसानों का भरपूर शोषण किया है। अगर एसवाईएल नहर के अधूरे निर्माण को सरकार पूरा कर देती तो आज डार्कजोन की भयावह स्थिति न होती।
नई नीति को तुगलकी फरमान बताते हुए इनेलो नेता ने कहा कि सरकार अब वेस्टर्न यमुना कैनाल जिसमें यमुनानगर, करनाल, पानीपत, जींद और जिला रोहतक आते हैं, में राइस शूट के लिए हर साल जो 25 प्रतिशत पानी आबंटित किया जाता था अब उसे सरकार आने वाले पांच सालों में तीन प्रतिशत व भाखड़ा कमांड जिसमें जिला कैथल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, हिसार, सिरसा और फतेहाबाद जिले आते हैं, में राइस शूट के लिए 10 प्रतिशत आबंटित पानी को भी आने वाले पांच सालों में तीन प्रतिशत करने जा रही है। सरकार 2021 के बाद सभी पुराने राइस शूट खत्म करने जा रही है और जो रजबाहे 10 क्यूसिक से कम के हैं उन पर भी राइस शूट खत्म कर दिया जाएगा। सरकार 20 एकड़ से कम जमीन पर राइस शूट नहीं देगी व 20 एकड़ में से मात्र 5 एकड़ में ही किसान धान लगा सकेगा।
इनेलो नेता ने बताया कि सरकार राइस शूट नीति के तहत पहले 150 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से किसानों से लेती थी पर अब सरकार ने बढ़ाकर 300 रुपए प्रति एकड़ करके किसानों पर और बोझ डाल दिया है। प्रदेश में करीब 40 लाख एकड़ भूमि में धान की खेती की जाती है, जिसमें लगभग 55 लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है। प्रदेश के कई जिलों को सरकार ने डार्कजोन जैसी गर्त की स्थिति में धकेल दिया है। इसका सीधा सा कारण यही रहा कि इन्होंने पहले दादूपुर नलवी नहर और एसवाईएल नहर के अधूरे निर्माण को पूरा नहीं किया जबकि दादूपुर-नलवी नहर को रिचार्ज के लिए ‘राइस शूट नीति’ के तहत ही पानी दिया जाता था। अगर इन दोनों नहरों के माध्यम से किसानों के लिए भरपूर पानी की व्यवस्था की जाती तो आज प्रदेश का किसान यूं भयावह स्थिति में जीवन यापन न कर रहा होता।

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