भारत के सभी राज्यों की तुलना में बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के कई जिलों में कोरोना का प्रकोप ज्यादा देखने को मिला। इन जिलों को कोरोना से भारी खतरे वाले जिलों की श्रेणी में रखा गया है। इन जिलों की सीमा से सटे राजस्थान और महाराष्ट्र के जिलों में भी कोरोना का ज्यादा प्रकोप देखने को मिला है। यह जानकारी गैर लाभकारी लोक स्वास्थ्य संगठन स्वाती के एक अध्ययन से सामने आई है।

 

बता दे कि अध्ययन में कोरोना से उच्च संकट वाले जिले से आशय यह है जहां लंबे समय तक मर्ज और मरीजों का पता नहीं लग सका लेकिन बाद में तेजी से मामले बढ़ने लगे। इस संगठन की सर्वे रिपोर्ट में पाया गया कि कर्नाटक, पूर्वी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पूर्वी तमिलनाडु में कोरोना का अपेक्षाकृत असर कम रहा. इससे जाहिर होता है कि कुछ भौगोलिक स्थितियों और कुछ समुदायों पर इसका प्रभाव कम रहा।

 

इस मामले को लेकर सर्वे के मुताबिक केरल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, जम्मू और कश्मीर में कोरोना का प्रभाव और भी कम पाया गया। जैसा कि अधिकांश लोग जानते हैं कि बहुत सी बीमारियों से जूझने वालों और अधिक उम्र के मरीजों के लिए कोरोना ज्यादा खतरनाक है। लेकिन कुछ समुदायों, भिन्न भौगोलिक स्थिति और अलग पर्यावरणीय स्थिति में कोरोना का कैसा असर होता है इस बारे में अभी कोई समझ विकसित नहीं हो पाई है। एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार कोरोना संक्रमण में आर्थिक सामाजिक स्थिति जैसे न्यून आय, पढ़ाई की स्थिति, जनसंख्या घनत्व, शहरीकरण, साफ-सफाई की स्थिति समेत 15 कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

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