इस्लामबाद । पाकिस्तान सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंधियों के दबाव में पीछे हटते हुए आदतन बलात्कारियों को रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाने के नए कानून से हटा दिया है। पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) ने ऐसी सजा पर आपत्ति जताते हुए इसे गैर-इस्लामिक करार दिया था। जिसके बाद कट्टरपंथियों के दबाव में प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाक सरकार ने जनता की कड़े कानून बनाने की मांग को खारिज कर दिया।
इससे पहले संसद ने नए कानून को मंजूरी दी थी, जिसका मकसद दोषसिद्धि में तेजी लाना और अपराधियों को सख्त सजा देना था। बुधवार को संसद के संयुक्त सत्र में आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक 2021 विधेयक को 33 अन्य विधेयकों के साथ पारित कर दिया गया था। तब कहा गया था कि पाकिस्तान सरकार बलात्कारियों के खिलाफ कड़े ऐक्शन लेने और कठोर से कठोर सजा दिलवाने के लिए हमेशा तैयार है।
कानून और न्याय संबंधी संसदीय सचिव मलीका बोखारी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीआईआई द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद इस खंड को हटा दिया गया। सीआईआई पाकिस्तान का एक संवैधानिक निकाय है, जो सरकार तथा संसद को इस्लामी मुद्दों पर कानूनी सलाह देता है। इस्लामाबाद में कानून मंत्री फरोग नसीम ने कहा कि सीआईआई ने बलात्कारियों को रासायनिक तरीकों से नपुंसक बनाए जाने की सजा को गैर-इस्लामी करार दिया था।
आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान में यौन उत्पीड़न या बलात्कार के चार प्रतिशत से भी कम मामलों में दोषसिद्धि होती है। कानून में सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान दवा देकर दोषियों का बधिया किए जाने का था, जिसे अब बदल दिया गया है। अधिसूचित बोर्ड के मार्गदर्शन में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी। कानून में प्रावधान किया गया है कि दुष्कर्म रोधी प्रकोष्ठ घटना की रिपोर्ट होने के छह घंटे के भीतर पीड़िता की जांच कराएगा। अध्यादेश के तहत आरोपियों को दुष्कर्म पीड़िता से जिरह की अनुमति नहीं होगी। केवल न्यायाधीश और आरोपी की ओर से पेश वकील ही पीड़िता से सवाल-जवाब कर पाएंगे।

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