लॉकडाउन के चलते जिनकी खाने की व्यवस्था नहीं थी उनको प्रशासन और दानदाताओं के द्वारा भोजन मिला लेकिन जिला प्रशासन और दानदाताओं के सहयोग से दी जा रही मुफ्त राशन की सुविधा नगर निगम जून से बंद करने की तैयारी में है। इस व्यवस्था पर रोजाना औसतन 50 से 55 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं जो अब प्रशासन को भारी पड़ने लगी है। हालांकि राहत की बात यह है कि फिलहाल प्रशासन मुफ्त भोजन की व्यवस्था बंद नहीं करेगा। इसी तैयारी के तहत राशन के पैकेट घटाकर पहले 24 हजार किए और शुक्रवार को करीब 20 हजार पैकेट ही दिए गए है।
इस बारें में अधिकारियों का मानना है कि लॉकडाउन में रियायतों के साथ अब इस सुविधा में भी कटौती करना जरूरी हो गया है। इस संबंध में कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त प्रतिभा पाल के बीच चर्चा हो चुकी है। दोनों स्तर पर तय किया गया है कि अब मुफ्त राशन की सुविधा बंद कर दी जाए। संभवतः 1 जून से मजदूरों और गरीबों को मुफ्त राशन मिलना बंद किया जाएगा।
अधिकारियों का आगे कहना है कि मुफ्त राशन के बजाय अब तैयार भोजन दिया जाएगा। किसी को बहुत ज्यादा जरूरत पड़ी तो प्रशासन उसके लिए राशन की व्यवस्था भी जरूर करेगा। मार्च में तत्कालीन निगमायुक्त आशीष सिंह के प्रयासों से यह सुविधा शुरू हुई थी जिससे व्यापक स्तर पर लोगों को राशन मिलने लगा। इस वजह से शहर में कहीं भी लोग खाने के लिए सड़कों पर नहीं निकले। निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी, अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा और उपायुक्त अरुण शर्मा के नेतृत्व में टीम दिन-रात राशन पैकेट तैयार करने और उनके वितरण में लगी रही।