नई दिल्ली। घर निर्णाण में आमतौर पर उपयोग में आने वाले ईट, रेत, सरिया औऱ सीमेंट का एक विकल्प देश में सामने आया है और अब इनके बिना भी घर बनाए जा सकते हैं और बनाए भी जा रहे हैं। देश के छह शहरों में इन दिनों आधुनिक तरीके से निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसमें विभिन्न देशों की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इन तकनीक से होने वाले निर्माण को लाइट हाउस परियोजना का नाम दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ड्रोन के माध्यम से लाइट हाउस परियोजनाओं की समीक्षा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने लखनऊ, इंदौर, राजकोट, रांची, चेन्नई और अगरतला में चल रही लाइट हाउस परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। इन परियोजनाओं के अंतर्गत हजारों की संख्या में तेज गति से मकान बनाने का काम किया जा रहा है, जिसे इनक्यूबेशन सेंटर के रूप में इस्तेमाल में लाया जाएगा। इस वर्ष पहली जनवरी को प्रधानमंत्री ने देश के छह राज्यों में लाइट हाउस परियोजनाओं की आधारशिला रखी थी। लाइट हाउस परियोजना के तहत इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक से कम समय में सस्ता, टिकाऊ एवं मजबूत हाउसिंग परियोजनाएं तैयार की जा सकती हैं।
इंदौर की लाइट हाउस परियोजना में ईट और बालू-सीमेंट की दीवारें नहीं होंगी। इसकी जगह पूर्व निर्मित सैंडविच पैनल प्रणाली का इस्तेमाल किया जा रहा है। राजकोट में लाइट हाउस के निर्माण में फ्रांस की तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। ये घर आपदाओं को झेलने में अधिक समर्थ होंगे। चेन्नई में अमेरिका और फिनलैंड की तकनीक प्री-कास्ट कंक्रीट प्रणाली का उपयोग हो रहा है, जिससे सस्ते घर का निर्माण तेजी से होगा।
जर्मनी की थ्रीडी निर्माण प्रणाली का उपयोग कर रांची में मकान बनाए जा रहे हैं। इसके तहत प्रत्येक कमरे को अलग निर्मित किया जाएगा और फिर पूरी संरचना को उसी तरह से जोड़ा जाएगा जैसे ब्लॉक्स को जोड़कर घर बनाने वाले खिलौने में किया जाता है।
अगरतला में स्टील के फ्रेम के साथ न्यूजीलैंड की तकनीक का उपयोग करते हुए मकान बनाए जा रहे हैं जो भूकंप के जोखिम को आसानी से झेल सकते हैं। कनाडा की तकनीक के इस्तेमाल से लखनऊ में निर्माण किया जा रहा है जिसमें प्लास्टर और पेंट की आवश्यकता नहीं होती है और तेजी से मकान बनाने के लिए पहले से तैयार की गई पूरी दीवारों का उपयोग किया जाता है। यह एक आसान प्रणाली है।

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