अविनाश भगत : संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव कराए जाऐंगे। यह बात आज उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने जिला रियासी के तलवाड़ा स्थित पुलिस लाईन में पुलिस के जवानों को संबोधित करते हुए कही है। उपराज्यपाल के इस बयान के बाद प्रदेश के कमोबेश सभी राजनीतिक दलों में संतोष की लहर व्याप्त हो गई है। यह अलग बात है कि विपक्षी दलों ने उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के उक्त ब्यान का स्वागत तो किया है लेकिन उनका यह भी कहना है कि लोगों की इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए।
भाजपा ने पहली बार 25 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की..
बता दें कि, सन् 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश आया था। तब सूबे की कुल 87 विधानसभा सीटों में से 28 सीटें लेकर पीडीपी सबसे बड़े दल के रूप में सामने आया था। उसके बाद भाजपा ने पहली बार 25 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। तीसरे व चौथे नंबर पर नेशनल कांफ्रेस व कांग्रेस को क्रमशः 15 व 12 सीटें तथा शेष अन्य के खातों में गईं थी। फिर एक अरसे तक दोनों दलों के बीच चली बातचीत के बाद दोनों धुरविरोधी राजनीतिक दलों पीडीपी व भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई थी। पहले मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी और फिर उनके निधन के बाद पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की अगुवाई में पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनी। सरकार में रहते हुए इन दोनों दलों के बीच लगातार गहराते मतभेदों के कारण बीते साल 19 जून को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने प्रेस कांफ्रेंस करके गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापिस लेने का ऐलान कर दिया और इस प्रकार सरकार गिर गई। फिर अगले दिन केंद्र के निर्देश पर यहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया। तब एनएन वोहरा सूबे के राज्यपाल थे। छह माह के लिए लगाए गए राज्यपाल शासन के दौरान ही 21 नंवबर 2018 को देर शाम तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग करने का ऐलान कर दिया। जिस पर विवाद भी बना।
उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू का बड़ा बयान
गौरतलब है कि, बीती 5 अगस्त को केंद्र की मोदी सरकार ने सूबा-ए जम्मू कश्मीर से विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35 ए को हटाने के साथ साथ सूबे के पुनर्गठन की घोषणा करते हुए इसे दो संघ शासित प्रदेशों का रूप दे दिया। जम्मू कश्मीर व लद्दाख के तौर पर। फिर 31 अक्तूबर को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख अलग अलग दो संघ शासित प्रदेश अमल में आए। संघ शासित प्रदेश बनने पर लेह के लोग बेहद खुश हुए परंतु जम्मू-कश्मीर में विरोधी दलों द्वारा असंतोष जाहिर किया गया। फिलहाल यहां जम्मू कश्मीर में करीब 18 माह से बनी राजनीतिक शून्यता में आज तब हलचलें दिखाई दीं जब उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू का यहां शीघ्र चुनाव कराए जाने का बयान सुर्खियां बना। इसे लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंद्र गुप्ता ने इस संवाददाता से कहा कि उपराज्यपाल का उक्त कथन स्वागत योग्य है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता के मुताबिक
चूंकि लोकतांत्रिक देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था एक अहम जीवन रेखा मानी जाती है। वहीं कांग्रेस तथा पैंथर्स पार्टी ने भी उपराज्यपाल के बयान को खुशामदीद कहते हुए कुछ सवाल भी किए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता रविंद्र शर्मा ने कहा है कि उपराज्यपाल के बयान का स्वागत करते हैं लेकिन इन चुनाव के लिए अनुकुल माहौल बने। तमाम तरह की पाबंदियां हटाई जाएं तथा लोगों की ख्वाहिश के मुताबिक पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल हो।
राजनीतिक हलचल शुरू
इसी प्रकार जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के प्रधान पूर्व विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया ने कहा है कि उनकी शुरू से मांग रही है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो। सीटों के परिसीमन के साथ ही पहले पूर्ण राज्य का दर्जा भी बहाल हो। इस प्रकार माना जा रहा है कि उपराज्यपाल मुर्मू के उक्त भाषण के बाद जम्मू कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियां फिर से उडान भरने की कोशिश में हैं।