नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान के लिए जारी दिशा-निर्देश में बदलाव का ऐलान 21 जून से लागू हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर जब नई वैक्सीनेशन गाइडलाइंस लागू हुई तो पहले दिन देशभर में टीके की 86.16 लाख डोज दी गई। यह एक दिन में टीके की सबसे अधिक खुराक है। इससे पहले 1 अप्रैल को सर्वाधिक 48 लाख से अधिक डोज दी गई थी। अगर पिछले कुछ दिनों का औसत देखें तो सोमवार को करीब-करीब टीकाकरण की रफ्तार दोगुनी हो गई। अब सवाल है कि क्या अब इस साल के आखिर तक देश की पूरी व्यस्क आबादी को टीका लगा देने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा? प्रधानमंत्री ने देश में सोमवार को कोविड रोधी टीके की रिकॉर्ड संख्या में खुराक लगाए जाने पर वैल डन इंडिया कहा। मोदी ने कहा, कोविड-19 से लड़ाई में टीका हमारा सबसे मजबूत हथियार है। जिन लोगों का टीकाकरण हुआ, उन्हें बधाई और अग्रिम पंक्ति के वे सभी कर्मी प्रशंसा के पात्र हैं, जिन्होंने इतने लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की।
दरअसल, वैक्सीनेशन का टार्गेट पूरा करने के लिए चौतरफा प्रयास जारी हैं। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने टीकाकरण जागरूकता अभियान से विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं को भी जोड़ा है। इसको उन्होंने जान है तो जहान है नाम दिया है। इस अभियान से जुड़े दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी सहित विभिन्न क्षेत्रों के धार्मिक नेता और प्रमुख लोग, फतेहपुरी मस्जिद, दिल्ली के इमाम, डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद, जैन गुरु आचार्य लोकेश मुनि, दिल्ली के महाधर्मप्रांत, आर्कबिशप अनिल जोसेफ थॉमस काउटो आदि गणमान्य व्यक्ति ने संदेश जारी किए हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगले छह महीने में छह करोड़ टीके लगाए जाने वाले टीकाकरण महाअभियान की शुरुआत की। इस महाअभियान का नाम ‘कर दिखाएगा बिहार’ रखा गया है। मुख्यमंत्री ने लोगों को सचेत रहने की अपील करते हुए कहा कि विशेषज्ञ तीसरे लहर की भी बात कर रहे हैं, ऐसे में एहतियात जरूरी है। राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि महाअभियान को बिहार पूरा करेगा। पश्चिमी दिल्ली से लोकसभा सदस्य प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में सबसे पहले 100 प्रतिशत टीकाकरण पूरा करने वाली कालोनी या गांव को एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे। ​प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 जून को कोविड-19 महामारी के खिलाफ जारी टीकाकरण अभियान के लिए संशोधित दिशा-निर्देश की घोषणा की थी। इसमें सुनिश्चित किया गया कि केंद्र सरकार राज्यों को मुफ्त में टीका देगी। इससे राज्य टीके की उपलब्धता की समस्या से बच जाएंगे और टीकाकरण अभियान की तेज गति बाधित नहीं होगी। अब 18 से 44 वर्ष के एज ग्रुप के लोगों के लिए भी कोविन प्लैटफॉर्म पर से ही रजिस्ट्रेशन करवाने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि 18 आयु वर्ग के सभी टीकाकरण केंद्रों पर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था रहेगी। इसके बाद लोग अपना डोज ले सकेंगे। अधिकारियों के अनुसार, व्यवस्था लागू की गई है और कोशिश है कि सेंटरों पर भीड़ न हो। यही व्यवस्था अन्य राज्य भी लागू कर रहे हैं। देश में कोविड टीके की अब तक 28.87 करोड़ डोज दी जा चुकी है। एक्सपर्ट्स की मानें तो 95 करोड़ व्यस्क आबादी को दिसंबर तक टीका लगा देने का लक्ष्य पूरा करने के लिए हर दिन करीब-करीब 1 करोड़ डोज देनी होगी। 31 दिसंबर आने में अभी 193 दिन बाकी हैं। इस दौरान अगर हर दिन औसतन 1-1 करोड़ डोज दी जाए तो साल के आखिर तक कुल 193 करोड़ डोज दी जा चुकी होगी जो 95 करोड़ की व्यवस्क आबादी को दो-दो डोज के हिसाब से पर्याप्त है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का दावा है कि देश के पास दिसंबर तक कोरोना वैक्सीन की 2.57 अरब डोज होगी और टीकाकरण का काम ज्यादा तेज गति से चलेगा। देखा जाए तो दिसंबर तक देश की पूरी व्यस्क आबादी का टीकाकरण का लक्ष्य बहुत कठिन नहीं है। लेकिन, सोमवार की ही बात करें तो 70 फीसदी डोज बीजेपी शासित राज्यों में दी गई। बाकी 30 फीसदी डोज में विपक्ष शासित सभी राज्य सिमट गए। केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को पंजाब, झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली जैसे प्रदेशों में 1-1 वैक्सीन डोज भी नहीं दी जा सकी। वहीं, बीजेपी शासित मध्य प्रदेश ने सोमवार को रिकॉर्ड बना दिया। वहां एक दिन में करीब 15 लाख वैक्सीन डोज दी गई। एक और बीजेपी शासित प्रदेश कर्नाटक में कल 10 लाख डोज दी गई। वहीं, हरियाणा में भी 6.27 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई। विपक्षी तृणमूल कांग्रेस शासित प बंगाल ने तो नई गाइडलाइंस के तहत छिड़े टीकाकरण अभियान में सोमवार को यह कहते हुए हिस्सा लेने से ही इनकार कर दिया कि उसके पास वैक्सीन की पर्याप्त डोज नहीं है। वहीं, दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने का दावा किया। ऐसे में केंद्र और राज्यों के बीच और अधिक तालमेल की जरूरत महसूस की जा रही है।

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