नई दिल्ली। दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस यानी एम्स के एक अध्ययन में पाया गया है कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम है। वायरस के खिलाफ कितनी आबादी में एंटीबॉडी मौजूद है, यह पता लगाने के लिए सीरो सर्वे किए जाते हैं। बीते साल एम्स ने 1 सितंबर से 30 नवंबर के बीच सीरो सर्वे किया था, जिसमें यह नतीजा निकला है। इस सर्वे में एचआईवी/एड्स से पीड़ित 164 मरीजों को शामिल किया गया था और इनमें से 14 प्रतिशत के अंदर कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी मिली। इस शोध में एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों की औसत उम्र 41 साल थी। स्टडी के मुताबिक, 164 में से सिर्फ 23 मरीजों में ही एंटीबॉडीज पाई गईं। हालांकि, अभी इस शोध की पूरी समीक्षा नहीं की गई है। स्टडी के मुताबिक, ‘164 मरीजों की औसत आयु 41.2 साल थी और इनमें से 55 फीसदी पुरुष थे। स्टडी में शामिल 14 फीसदी मरीजों में कोविड के प्रति एंटीबॉडीज पाई गईं। एचआईवी और एड्स के पीड़ितों में आम जनों की तुलना में सीरोप्रिवलेंस यानी एंटीबॉडी कम पाई गईं।’ स्टडी में यह भी पाया गया है कि अधिकांश सीरोपॉजिटिव मरीजों में कोविड-19 के हल्के या न के बराबर लक्षण थे। हालांकि, एचआईवी/एड्स के मरीजों में कम एंटीबॉडी होने की वजह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हालांकि, स्टडी में यह जरूर कहा गया है कि मरीजों के घर से बाहर न निकलने, किसी के संपर्क में जाने से बचने की वजह से वे कोरोना संक्रमण के भी संपर्क में नहीं आए हैं। शोध में यह भी कहा गया है कि इस तरह के मरीजों को संक्रमण को हल्के में नहीं लेना चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

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