होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई बढ़ेगी

मुंबई । देश से बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के ग्राहकों के लिए अच्छी खबर नहीं है। बैंक ने लगातार दूसरे महीने एमसीएलआर में 10 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी की है। बढ़ी हुई दरें 15 मई से प्रभावी हो गई हैं। इससे पुराने होम लोन और कुछ बिजनस लोन महंगे हो जाएंगे। एमसीएलआर अक्टूबर 2019 से पहले लिए गए होम लोन और कुछ कैटगरी के बिजनस लोन के लिए बेंचमार्क है। दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों को लोन पोर्टफोलियो में एमसीएलआर लोन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (53.1 फीसदी) थी।
बढ़ोतरी के बाद एसबीआई का एक साल के एमसीएलआर 7.1 फीसदी से बढ़कर 7.2 फीसदी हो गया है। इसी तरह दो साल के लिए एमसीएलआर को 7.3 फीसदी से 7.4 फीसदी कर दिया गया है। तीन साल के लिए बेंचमार्क अब 7.5 फीसदी हो गया है जो पहले 7.4 फीसदी था। छह महीने के लिए एमसीएलआर 7.05 फीसदी से बढ़कर 7.15 फीसदी हो गया है। तीन महीने, एक महीने और ओवरनाइट के लिए बेंचमार्क को 6.75 फीसदी से बढ़ाकर 6.85 फीसदी कर दिया गया है। बैंक के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन ग्राहकों पर होगा, जिन्होंने होम, ऑटो या पर्सनल लोन ले रखा है। इससे आने वाले महीनों में उनकी ईएमआई बढ़ेगी। इसके पहले अप्रैल में भी एसबीआई ने एमसीएलआर में 10 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी। दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों को लोन पोर्टफोलियो में एमसीएलआर लोन की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा (53.1 फीसदी) थी।
2019 के बाद होम लोन लेने वालों के लिए लेंडिंग रेट में 40 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह यह है कि ये लोन आरबीआई के रेपो रेट से जुड़े हैं। आरबीआई ने चार मई को एक चौंकाने वाला फैसला लेते हुए रेपो रेट में 40 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी थी। बैंकरों के मुताबिक एमसीएलआर में बढ़ोतरी आगे भी जारी रहेगी क्योंकि रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंकों के लिए फंड्स की कॉस्ट बढ़ गई है। बैंक हर महीने लेंडिंग कॉस्ट की समीक्षा करते हैं और बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर डालते हैं।

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