मदरलैंड संवाददाता सहरसा।
सहरसा – बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपने राज्य से सटे सम्बंधित सिमावर्ती राज्य के बोर्डरों को पुरी तरह सील कर देने सम्बंधित दावे की पोल पुरी तरह खुल गई है। उत्तरप्रदेश के इटावा जिले में मजदूरी का कार्य करने वाले 106 मजदूरों द्वारा एक ट्रक का सहारा लेकर सहरसा पहुंच जाने पर न केवल प्रसाशनिक महकमा के लोग हैरान हैं बल्कि क्षेत्र के आम जन भी बिहार सरकार के खोखले दावे को लेकर हतप्रभ बने हुए हैं। हालांकि लगभग एक लाख रुपये किराये देकर एक ट्रक पर सवार 106 मजदूर बुधवार की देर रात जब जिले के बिहरा थाना अंतर्गत पुरीख गाँव के निकट पहुंचे, ठीक उसी समय रात्री गस्ती कर रही बिहरा थाना पुलिस ने उस ट्रक को रोका और ट्रक की तलाशी
लेने लगी। थाना पुलिस भी तिरपाल से ढ़के उस ट्रक पर सवार इतने सारे मजदूरों को देखकर पहले तो हैरान रह गई बाद में ट्रक को अपने कब्जे में लेकर बिहरा थाना पहुंच गई। बाद में अपने उच्च अधिकारी से मिले निर्देश के अनुसार ट्रक सहित सभी मजदूरों को लेकर जिला मुख्यालय स्थित परीक्षा भवन में बने कोरेंटाईन सेंटर लाया गया। जहाँ सभी मजदूरों को ट्रक से नीचे उतारकर गिनती करते हुए कोरेंटाईन सेंटर के अन्दर बन्द कर दिया गया। गुरुवार की सुबह जिला प्रशासन द्वारा एक एक मजदूरों का मेडिकल चेकअप भी कराया गया। इटावा से ट्रक पर सवार होकर सहरसा आये जिले के सत्तरकटैया निवासी एक मजदूर ने बताया कि इटावा स्थित अलग अलग कोल्ड स्टोरेजों में उनके साथ साथ आये सभी मजदूर वहां काम करते थे। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते लॉक डाउन होने के बाद सभी कोल्ड स्टोरेज भी बन्द हो गए और वे सभी दाने दाने के मोहताज हो गए उनके पास किसी तरह अपने घर पहुँचने के अलावा और कोई रास्ता न
जर नहीं आया अन्तः उनसबों ने एक ट्रक मालिक से सम्पर्क साधा। ट्रक मालिक प्रति मजदूर एक – एक हजार रुपया लेकर सबों को उनके घर तक पहुँचाने का वादा किया। इसके बाद सभी मजदूरों ने ट्रक मालिक को एक-एक हजार रुपया देकर ट्रक नम्बर UP75AT-5376 पर सवार हो गए। दिनांक 07 अप्रेल मंगलवार को ट्रक चालक सभी मजदूरों को साथ लेकर इटावा से चल दिये रास्ते में कुछ खाने पीने को भी नहीं मिला अन्ततः भुखे रहकर वो लोग ट्रक में ही सो गए और कुछ पता भी नहीं चल पाया। आश्चर्यजनक रूप से जहाँ एक तरफ इस घटना ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा किए गए दावा की पोल खोलकर रख दी है। वहीं उत्तरप्रदेश के इटावा से लेकर बिहार के सहरसा
जिले से सटे सुपौल जिले लगभग एक हजार किमी तक विभिन्न चेक पोस्टों पर तैनात छोटे-बड़े पुलिस अधिकारीयों के क्रियाकलापों पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है