नई दिल्ली । कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में जारी है और इसके वैक्सीन के लिए हर जगह कवायद तेज है। इस बीच अच्छी खबर यह है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ने उम्मीद की किरण दिखाई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के टीके का बंदरों पर परीक्षण सफल रहा है। टीका लगने के बाद बंदरों में प्रतिरोधी क्षमता पैदा हुई और उनमें वायरस का प्रभाव भी कम हुआ। मेडिकल जर्नल नेचर में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई। अमेरिका के राष्ट्रीय एलर्जी एवं संक्रामक रोग संस्थान के शोधकर्ताओं और ऑक्सफोर्ड ने पाया कि वैक्सीन यानी कि टीका बंदरों को कोविड-19 से होने वाले घातक निमोनिया से बचाने में सफल रहा। दरअसल, कोरोना के संक्रमण के बाद फेफड़ों में सूजन आ जाती है और उन्हें एक प्रकार का द्रव्य भर जाता है। इसी सफलता के बाद ऑक्सफोर्ड ने इंसानों पर परीक्षण शुरू किए थे, जिसके भी प्रारंभिक नतीजे सफल रहे हैं। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन चैडॉक्स एनकॉव 19 चिंपैजी में मिलने वाले एक कमजोर वायरस से बनाई गई है, इस वायरस से सामान्य सर्दी-जुकाम होता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि छह बंदरों को कोरोना के संक्रमण की जद में लाए जाने के 28 दिन पहले यह टीका दिया गया था। इससे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने से बचाया और वायरस की मात्रा को कम किया। बाद में इन बंदरों को बूस्टर डोज भी दिया, जिससे प्रतिरोधी क्षमता और बढ़ी।शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन यह संकेत देता है कि यह टीका भले ही संक्रमण या उसके प्रसार को न रोक पाए, लेकिन यह बीमारी को जानलेवा नहीं बनने देगा। इस परीक्षण के बाद ऑक्सफोर्ड ने जुलाई में इंसानों पर परीक्षण के लिए आठ हजार वालंटियर की भर्ती की थी।