नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि ऑनलाइन जुआ वेबसाइटों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) किसी भी मध्यस्थ को ऐसी साइटों को ब्लॉक करने का निर्देश देने के लिए अधिकृत नहीं है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामा उस याचिका पर दाखिल किया गया है जिसमे वित्त मंत्रालय, एमईआईटीवाई और दिल्ली सरकार को जुआ, सट्टेबाजी और दाव लगाने में शामिल वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने इस मामले को 11 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है और मौखिक रूप से कहा कि ऑनलाइन जुआ बेहद खतरनाक है और वेबसाइटों की कमाई युवाओं की कीमत पर नहीं हो सकती। याचिका में कहा गया है कि विभिन्न राज्यों द्वारा इस तरह की गतिविधियों को प्रतिबंधित करने वाले कानून बनाये जाने के बावजूद जुआ, सट्टेबाजी और दाव लगाने वाली बड़ी संख्या में वेबसाइटों तक भारत में पहुंच अभी भी उपलब्ध है।
याचिकाकर्ता अविनाश मेहरोत्रा ने याचिका में दलील दी कि ये सभी गतिविधियां, हालांकि कानून द्वारा स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित लेकिन कानूनों के प्रवर्तन की कमी के कारण जारी हैं। केंद्र ने याचिका के जवाब में कहा कि जुआ या सट्टेबाजी से संबंधित मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए एमईआईटीवाई को कोई विधाई आदेश नहीं है और यह स्पष्ट रूप से राज्य विधानमंडल की विधायी क्षमता के अंतर्गत आता है।
केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने किसी भी राज्य- सिक्किम, नागालैंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश या तमिलनाडु को पक्षकार नहीं बनाया है- जिन्होंने ऐसे कानून बनाए हैं जो विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करते हैं और इन राज्यों के विचारों को सुने बिना इस मामले में प्रभावी निर्णय संभव नहीं है। इसमें कहा गया है सभी राज्यों से उम्मीद की जाती है कि वे ऑनलाइन जुआ/खेल को विनियमित करने के लिए अपने मौजूदा राज्य कानूनों में संशोधन करें, जैसा कि सिक्किम, नागालैंड, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ने किया है। केंद्र ने दोहराया कि प्रभावी प्रवर्तन के लिए, राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कानूनों में ऑनलाइन जुए को प्रतिबंधित करने के लिए पर्याप्त नियामक प्रावधान हैं।

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