‘ऑपरेशन मेघदूत’ का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का देहांत हो गया है। सोमवार शाम को 91 वर्ष की आयु में चंडीगढ़ में पीएन हून ने अंतिम सांस ली। पीएन हून के नेतृत्व में इंडियन आर्मी ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी सियाचिन पर तिरंगा फहराया था। पीएन हून का जन्म पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ था, किन्तु विभाजन के समय उनका परिवार भारत आकर बस गया। 1987 में वे पश्चिमी कमान के प्रमुख के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद 2013 में उन्होंने भाजपा ज्वॉइन कर ली थी।
पंचकूला के कमांड अस्पताल में चल रहा था उपचार
लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून का बीते दो दिनों से पंचकूला के कमांड अस्पताल में उपचार चल रहा था। डॉक्टरों ने 6 जनवरी शाम 5.30 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया। 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में पीएन हून ने महत्वपूर्ण रोल निभाया था। 13 अप्रैल 1984 को इंडियन आर्मी ने सियाचिन में दुश्मनों से निपटने के लिए ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था।
भारत की सामरिक रणनीतिक विजय की नींव
खास बात ये थी कि बर्फ में पहने जाने वाले कपड़े और साजो सामान इंडियन आर्मी के पास 12 अप्रैल की रात को ही पहुंचे थे। विश्व के सबसे ऊंचे मैदान-ए-जंग में सीधे टकराव की यह अपनी तरह की पहली घटना थी। इसे ऑपरेशन मेघदूत नाम दिया गया था और इसने भारत की सामरिक रणनीतिक विजय की नींव रखी थी।