मदरलैंड संवाददाता, जयनगर मधुबनी
लॉक डाउन में जहाँ मजदूरों की हालत मौत से बत्तर है यही भाजपा शासित राज्यों में गुपचुप तरीके से मजदूरों के अधिकार की कानून खत्म करना कुठाराघात है।~भूषण सिंह धरना के माध्यम से लोगों को कोरोना वायरस से बचने हेतु फिजिकल डिस्टेंस और साफई पर ध्यान रखे जयनगर , 12 मई 2020
देशव्यापी आंदोलन के तहत भाकपा(माले) से संबंधित ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एक्टू) के द्वारा देशव्यापी आव्हान पर भाजपा शासित राज्यों में लॉक डाउन के क्रम में गुपचुप तरीके से मजदूरों के अधिकार के कानून समाप्त करने के खिलाफ भाकपा (माले) जयनगर के द्वारा राजपूताना मोहल्ला में फिजिकल डिस्टेंस के साथ एक दिवसीय धरना दिया गया।
धरना के माध्यम से मांग किया गया की लॉकडाउन के बहाने, मजदूरों के अधिकारों को छीनना बन्द करो,.लॉक डाउन की आड़ में गुलामी की आग में झोंकना बन्द करो।, श्रम कानूनों के निलंबन बन्द करो।, 12 घन्टे के कार्यदिवस का आदेश वापस लो ।, हर हप्ते में 72 घन्टे का काम ओवरटाइम वेतन खत्म करने , और डीए / डीआर कटौती करना बंद करो । मजदूरों की छंटनी करना बंद करो ।, श्रम अधिकारों को खत्म करना बंद करो । सभी भाजपा शासित राज्यों में श्रम कानूनों का निलंबन वापस लो।,लॉक डाउन में मालिको की तिजोरी भरने के लिए मजदूरों को बंधुआ बनाना बन्द करने की मांग सामिल है।
धरना स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रखंड सचिव भूषण सिंह ने कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव से 100 साल बाद आज फिर मजदूर को बंधुआ और दास बनाने का षड्यंत्र चल रहा है इसपर सारे मीडिया चुप है उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश, राजस्थान व गुजरात की भाजपा शासित सरकार आर्थिक गतिविधि पुनर्जीवित करने के नाम पर तीन साल के लिए विभिन्न श्रम कानूनों से राज्य के उद्योग को छूट देने की बात हैरान करने वाला है , यह कानून मजदूरों के लिए दास प्रथा जैसी स्थिति पैदा कर देगा । इसे बिल्कुल स्वीकार नही किया जा सकता । यह मानवाधिकारो का उलंघन करता है ।
देशव्यापी आंदोलन के तहत भाकपा(माले) से संबंधित ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन (एक्टू) के द्वारा देशव्यापी आव्हान पर भाजपा शासित राज्यों में लॉक डाउन के क्रम में गुपचुप तरीके से मजदूरों के अधिकार के कानून समाप्त करने के खिलाफ भाकपा (माले) जयनगर के द्वारा राजपूताना मोहल्ला में फिजिकल डिस्टेंस के साथ एक दिवसीय धरना दिया गया।
धरना के माध्यम से मांग किया गया की लॉकडाउन के बहाने, मजदूरों के अधिकारों को छीनना बन्द करो,.लॉक डाउन की आड़ में गुलामी की आग में झोंकना बन्द करो।, श्रम कानूनों के निलंबन बन्द करो।, 12 घन्टे के कार्यदिवस का आदेश वापस लो ।, हर हप्ते में 72 घन्टे का काम ओवरटाइम वेतन खत्म करने , और डीए / डीआर कटौती करना बंद करो । मजदूरों की छंटनी करना बंद करो ।, श्रम अधिकारों को खत्म करना बंद करो । सभी भाजपा शासित राज्यों में श्रम कानूनों का निलंबन वापस लो।,लॉक डाउन में मालिको की तिजोरी भरने के लिए मजदूरों को बंधुआ बनाना बन्द करने की मांग सामिल है।
धरना स्थल पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए प्रखंड सचिव भूषण सिंह ने कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव से 100 साल बाद आज फिर मजदूर को बंधुआ और दास बनाने का षड्यंत्र चल रहा है इसपर सारे मीडिया चुप है उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश, राजस्थान व गुजरात की भाजपा शासित सरकार आर्थिक गतिविधि पुनर्जीवित करने के नाम पर तीन साल के लिए विभिन्न श्रम कानूनों से राज्य के उद्योग को छूट देने की बात हैरान करने वाला है , यह कानून मजदूरों के लिए दास प्रथा जैसी स्थिति पैदा कर देगा । इसे बिल्कुल स्वीकार नही किया जा सकता । यह मानवाधिकारो का उलंघन करता है ।