लंदन । भारत में आंदोलनरत किसानों को अब वैश्विक नेताओं का भी समर्थन मिल रहा है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के बाद अब ब्रिटेन के कई सांसदों और सिख नेताओं ने भी नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद कर दी है। इन सभी नेताओं ने मोदी सरकार से आग्रह किया है कि इस मुद्दे का जल्द से जल्द हल निकाला जाना चाहिए। उधर भारत ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों पर विदेशी नेताओं की टिप्पणी को अवांछित बताया है क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित है। ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने किसानों को पीटे जाने का जिक्र करते हुए ट्वीट कर कहा है, ‘मैं हमारे परिवार और दोस्तों सहित पंजाब और भारत के अन्य हिस्सों के किसानों के साथ खड़ा हूं, जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं।’ लेबर पार्टी के ही सांसद जॉन मैकडॉनेल ने कहा है, ‘मैं तनमनजीत सिंह धेसी से सहमत हूं। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ इस तरह का दमनकारी व्यवहार अस्वीकार्य है और भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है।’ लेबर पार्टी की एक अन्य सांसद प्रीत कौर गिल ने ट्वीट कर कहा है, ‘दिल्ली से चौंकाने वाले दृश्य। किसान शांतिपूर्वक विवादास्पद बिलों (अब कानून) का विरोध कर रहे हैं जो उनकी आजीविका को प्रभावित करेंगे। उन्हें चुप कराने के लिए वॉटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है।’
इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा था ‘अगर मैं किसानों द्वारा प्रदर्शन के बारे में भारत से आ रही खबरों पर ध्यान देना शुरू नहीं करता तो बेपरवाह होता। स्थिति चिंताजनक है… शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कनाडा हमेशा खड़ा रहेगा। हमने अपनी चिंताओं को रेखांकित करने के लिए कई जरियों से भारतीय अथॉरिटीज से संपर्क किया है।’ बता दें कि वकील और रिपब्लिकन पार्टी ऑफिशियल हरमीत ढिल्लों ने ट्वीट कर कहा है कि भारत सरकार के कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर हमला देखकर ‘उनका दिल टूट जाता है।’ उन्होंने पीएम मोदी से अपील की है कि वह किसानों को सुनें और उनसे मुलाकात करें।
भारत ने बताया अनुचित- भारत ने इस तरह की टिप्पणी को गैर जरूरी करार दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि हमने कुछ कनाडा के नेताओं के भारत के किसानों के बारे में कमेंट सुने हैं। ऐसे बयान गैर जरूरी हैं, वो भी तब जब किसी लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मुद्दों से जुड़े हो। साथ ही ये भी जरूरी है कि डिप्लोमेटिक बातचीत को किसी राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया जाए। एक संक्षिप्त संदेश में मंत्रालय ने आगे कहा, ‘राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राजनयिक बातचीत को गलत ढंग से प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए।’ ब्रिटेन में कई विपक्षी सांसद सोशल मीडिया पर इस विषय पर अपनी बात रख रहे हैं और लेबर सांसद विरेंद्र शर्मा ने यथाशीघ्र समाधान का आह्वान किया है। लार्ड इंद्रजीत सिंह ने हाऊस ऑफ लार्ड्स में यह मुद्दा उठाया था।