मुंबई । उद्धव ठाकरे की सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव करने का फैसला किया था। अब खबर है कि पूरे सियासी संकट के दौरान शिवसेना के साथ खड़ी रही कांग्रेस गठबंधन के प्रमुख दल के इस फैसले से खुश नहीं है। हालांकि, ऐसे भी कई कारण सामने आए हैं, जिनके चलते पार्टी ने दोनों शहरों के नाम बदलने का विरोध नहीं किया। ठाकरे ने बुधवार को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। महाराष्ट्र सरकार में शामिल उनके मंत्रियों को फैसले से दूरी बनानी चाहिए थी। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि महाराष्ट्र में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे का भी रुख किया था, लेकिन आला कमान इस मामले में दखल देने के मूड में नहीं था। सूत्रों ने बताया कि पार्टी आलाकमान को इस बात की आशंका थी कि अगर पार्टी नाम बदलने के फैसले का विरोध करती है, तो उसे हिंदू समुदाय की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ सकता है। खास बात है कि कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई पहले भी इन स्थानों के नाम बदलने की बात का विरोध कर चुकी है। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘उन्होंने कांग्रेस को इसमें शामिल कर लिया।’ उन्होंने बताया, ‘सेना हिंदुत्व को लेकर अच्छी नजर आना चाहती थी। अब कांग्रेस भी इस फैसले का हिस्सा बन गई है। हम इस निर्णय में फंस गए। हमें परिणाम भुगतने होंगे। साल 2018 में भी खबरें आई थी कि केंद्र ने देश के 25 शहरों और गांवों के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर भी कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने आरोप लगाए थे कि भाजपा भारत के सम्मान, पहचान, चरित्र या परिभाषा को नहीं समझती है।

Previous articleऔरंगाबाद का नाम बदलने पर भड़के ओवैसी के सांसद
Next article07 जुलाई 2022

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here