सतीष वर्मा : सामरिक महत्व के लद्दाख की पाकिस्तान तथा चीन से सटी सरहद के आसपास के बड़ी संख्या के इलाके अभी भी मोबाईल फोन सेवा से महरूम बने हुए हैं। जबकि इस बावत केंद्रीय संचार मंत्रालय कईं बार मोबाईल फोन सेवा देने का ऐलान भी कर चुका है। जिसके चलते स्थानीय नागरिकों में भारी नाराजगी बताई गई है। सूत्रों का कहना है कि लददाख क्षेत्र के तहत कारगिल व लेह के सीमांत करीब 350 गांव तथा बस्तियां हैं, जहां अभी तक मोबाईल फोन सेवा नहीं पहुंच सकी। बताया गया कि निजी सैल्युलर कंपनियों के अलावा संचार मंत्रालय इसलिए इन दुर्गम इलाकों में यह सेवा मुहैया नहीं करवा पा रहे। चूंकि इन इलाकों में सेवा लगाने उच्च परिचालन लागत आती है।

मोबाईल टाॅवर लगाने के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट
हालांकि सरकार द्वारा ऐसे स्थानों के लिए युनिवर्सल सर्विस आब्लिगेषन फंड संचालित किया जाता है, परंतु उस कोश से भी उक्त इलाकों में मोबाईल फोन कनेक्टिविटी के लिए पर्याप्त मदद नहीं मिली। जिसके कारण यहां के सरहदी इलाकों के लोग अभी भी इस सेवा के बेसब्री से इंतजार में हैं। बताया गया कि यहां के करीब 350 गांव व बस्तियों में मोबाईल टाॅवर लगाने के लिए विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजी गई। लेकिन नतीजा अभी तक कुछ भी सामने नहीं आया।

संसद सत्र के दौरान उठा था ये मुद्दा
इस बावत लददाख के मौजूदा सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने गत जुलाई में भी संसद सत्र के दौरान भी मुददा उठाया था। तब संचार मत्रालय की ओर से कहा गया था कि कारगिल में 72 तथा लेह में 53 यानि कुल 125 मोबाईल टाॅवर युनिवर्सल सर्विस आब्लिगेषन फंड से लगाए जाऐंगें। बताया गया कि लेकिन इस फंड से केवल 12 लाख रूपये ही रिलीज हो पाए हैं। जोकि कि ऊँट के मुंह में जीरे के सामान है। सूत्रों का कहना है कि मोबाईल सेवा से महरूम गांव व बस्तियां कारगिल की नियंत्रण रेखा व लेह की वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब से लेकर 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में हैं। बता दें कि, कारगिल से पाकिस्तान की सरहद सटी है और लेह से चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा।

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