नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक सरल, किफायती, जैव-संगत, पारदर्शी नैनोजेनेरेटर का निर्माण किया है जो ऑप्टोइलेक्ट्रोनिक्स, स्व-चालित उपकरणों तथा अन्य बायोमेडिकल ऐप्लीकेशनों में उपयोग के लिए चारों तरफ के वाइब्रेशन से बिजली पैदा कर सकता हैं। ग्लोबल वार्मिंग तथा ऊर्जा संकट के बढ़ते खतरे के कारण कम कार्बन उत्सर्जन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों की खोज वर्तमान की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। बिजली पैदा किए जाने की कुछ गैर पारंपरिक पद्धतियों में पाइजोइलेक्ट्रिक, थर्मोइलेक्ट्रिक तथा इलेक्ट्रोस्टैटिक तकनीक शामिल है जिसका उपयोग टच स्क्रीन, इलेक्ट्रोनिक डिस्प्ले आदि जैसे डिवाइसों में किया जाता है। ट्राइबोइलेक्ट्रिक नैनो जेनेरेटर (टीईएनजी) बिजली पैदा करने के लिए विभिन्न रूपों में हर जगह पाए जाने वाले वाइब्रेशन के रूप में मैकेनिकल एनर्जी का उपयोग करता है। ऊर्जा संचय करने वाला टीईएनजी दो असमान सामग्रियों के तात्कालिक भौतिक संपर्क के माध्यम से इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज के निर्माण के सिद्धांत पर काम करता है जिसके बाद संभावित अंतर पैदा होता है जब एक मैकेनिकल बल द्वारा दो कांटैक्टेड सतहों के बीच एक बेमेल प्रस्तुत किया जाता है। यह तंत्र इलेक्ट्रान को ट्रइबो परतों के पीछे कोट की गई कंडक्टिंग फिल्मों के बीच आगे पीछे हिलने को प्रेरित करता है। टीईएनजी को डिजाइन करने के लिए अभी तक प्रयुक्त पद्धति में फोटोलिथोग्राफिक या रिएक्टिव आयन इचिंग जैसी महंगी फैब्रिकेशन पद्धतियों तथा इलेक्ट्रोड प्रीपरेशन जैसी अतिरिक्त प्रक्रिया आदि का उपयोग किया जाता रहा है।

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