भोपाल। प्यारे मियां यौन शोषण मामले की जांच करने भोपाल आई राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम ने बच्चियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों से पूछा कि किस अवस्था में नाबालिग को अस्पताल लाया गया था। किस डॉक्टर ने नींद की गोलियां बच्चियों को लिखी थीं। अगर नहीं लिखी थी तो गोलियां बालिका गृह में बच्चियों के पास कैसे पहुंचीं। इस टीम में रजिस्ट्रार एनसीपीसीआर अनु चौधरी, एम्स नई दिल्ली में पदस्थ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट रेनु शर्मा, तकनीकी विशेषज्ञ और वकील हिमानी नौटियाल, साइकोलॉजिस्ट अंजली महालके व लीगल एडवाइजर एनसीपीसीआर कमाक्षी शामिल थीं। इधर, नाबालिगों की काउंसिलिंग कर रहे काउंसर और साइकोलॉजिस्ट से भी बातचीत की गई। राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम मृत बालिका के परिजनों से मिले बिना ही लौट गई। मामले में टीम ने बालिका गृह में सभी पांच पीड़ित किशोरियों के परिजन को बातचीत के लिए बुलाया था।
इनमें से मृतक किशोरी के परिवार ने बालिका गृह आने में असमर्थता जताई।
इसके चलते टीम उनसे नहीं मिली। टीम ने महिला बाल विकास विभाग के डायरेक्टर, कलेक्टर, संबंधित पुलिस अधीक्षक, सीडब्ल्यूसी सदस्यों, मामले से जुड़े चिकित्सक और पोस्टमार्टम टीम सहित 15 से अधिक जिम्मेदारों से बात की है। जेपी अस्पताल के डॉक्टर राजेंद्र गौतम ने बताया कि उन्होंने दो बच्चियों को घबराहट और जी मिचलाने के इलाज के लिए दवाएं लिखी थीं। इसके अलावा कोई दवा नहीं दी। आयोग की पांच सदस्यीय इस टीम ने दोपहर 12 से 3 बजे तक बालिका गृह में पूर्व और वर्तमान अधीक्षिका, यहां के स्टाफ और कुछ बच्चियों के परिजनों से पूछताछ कर बयान दर्ज किए। इसके बाद शहर के एसपी, शाहपुरा और कोहेफिजा थाने के टीआइ से पूछताछ की गई।
इस बात पर गंभीर लापरवाही बरतने के चलते टीम ने नाराजगी जाहिर की।
वहीं, कलेक्ट्रेट कार्यालय के एनआइसी सेंटर में इस मामले से जुड़े सभी अधिकारियों जैसे एसआइटी चीफ दीपिका सूरी, कलेक्टर भोपाल अविनाश लवानिया सहित फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग की एचओडी व एक डॉक्टर से बातचीत की गई। तो इसे सामने आया कि पूरे मामले में शुरू से ही लापरवाही बरती गई है। इधर, बालिका गृह में टीम के समक्ष परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्हें उनकी बच्चियों से मिलने नहीं दिया जाता था। वहीं मृत बालिका की बड़ी बहन ने बताया कि सुबह बालिका गृह से फोन आया था। बाल आयोग की टीम ने परिजनों को बात करने के लिए बुलाया था। मां की तबीयत खराब होने के कारण हमने बालिका गृह जाने से मना कर दिया था, लेकिन अपने घर का पता नोट करा दिया था। बुधवार रात तक आयोग की टीम ने उन लोगों से संपर्क नहीं किया। इस बारे में राष्ट्रीय बाल आयोग की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि टीम ने सभी के बयान दर्ज कर लिए हैं। आगामी एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जाएगी।
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