नई दिल्ली । केंद्र की भाजपानीत एनडीए सरकार की नई श्रम नीतियों के विरुद्ध केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और बैंकों के कर्मचारियों ने मोर्चा खेल दिया और गुरुवार को हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन और बैंक कर्मचारी संघ शामिल हैं। इससे बैंकों, कुछ सरकारी सेवाओं, वित्तीय सेवाओं, स्टील कारखानों, बंदरगाहों, कोयला एवं गैस उत्पादन आदि के कामकाज में अड़चन आने के आसार हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ इसमें शामिल नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि आज किसान संगठनों ने भी केंद्र द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में किसान भारत बंद का आह्वान किया है। हड़ताल में दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर फार इंडियान ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लॉइड वुमेन्स एसोसिएशन (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हो रहे हैं। इसमें कई सार्वजनिक कंपनियों के यूनियन भी शामिल हैं।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल में शामिल होने की घोषणा की है। इससे बैंकों के ग्राहकों को आज समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मजदूर संगठनों का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ‘जन विरोधी, श्रमिक विरोधी, देश विरोधी और विनाशक नीतियों वाली’ है। इसकी नई श्रम नीतियों के खिलाफ हड़ताल की जा रही है। सरकार से इन श्रम कानूनों में बदलाव को वापस लेने की मांग की जा रही है। एआईबीईए ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि लोकसभा ने हाल में संपन्न सत्र में तीन नए श्रम कानूनों को पारित किया है और कारोबार सुगमता के नाम पर 27 मौजूदा कानूनों को समाप्त कर दिया है। ये कानून शुद्ध रूप से कॉरपोरेट जगत के हित में हैं। इस प्रक्रिया में 75 प्रतिशत श्रमिकों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
एआईबीईए का कहना है कि नए कानूनों में इन श्रमिकों को किसी तरह का संरक्षण नहीं मिलेगा। एआईबीईए भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक को छोड़कर ज्यादातर बैंकों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्यों में विभिन्न सार्वजनिक और पुराने निजी क्षेत्र के बैंकों तथा कुछ विदेशी बैंकों के चार लाख कर्मचारी हैं। बयान में कहा गया है कि महाराष्ट्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, पुरानी पीढ़ी के निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा विदेशी बैंकों के करीब 30,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने पहले ही कह दिया है कि वह इस हड़ताल में हिस्सा नहीं लेगा। भारतीय मजदूर संघ ने यह स्पष्ट किया है कि बीएमएस और इसकी ईकाइयां 26 नवंबर 2020 को हड़ताल में भाग नहीं लेंगी। उसका कहना है कि यह राजनीतिक रूप से प्रेरित हड़ताल है।














