नई दिल्ली । केंद्र सरकार की नीतियों के विरुद्ध दस केंद्रीय यूनियनों ने बिगुल बजा दिया है और आज संयुक्त रूप से देशव्यापी भारत बंद का आह्वान किया। भारत बंद के दौरान ट्रांसपोर्ट, बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। आज सड़कों पर ऑटो और टैक्सी कम ही देखने को मिल सकते हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी प्रशासन ने सरकारी अधिकारियों के लिए आज कार्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया है, ताकि ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को विफल किया जा सके। वहीं, आज किसानों का ‘दिल्ली चलो’ मार्च भी है, जिसे लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। भारत बंद का मकसद किसान विरोधी सभी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लेना है और मरनेगा समेत कई योजनाओं का विस्तार है। केरल में भारत बंद की वजह से बस सेवा भी प्रभावित हुई हैं। वहीं, कोच्चि में मार्केट बंद हैं।
केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में अलग-अलग ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत 24 घंटे की देशव्यापी हड़ताल से गुरुवार को केरल में आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के अलावा सभी ट्रेड यूनियन इस भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं। केरल में राज्य सरकार ने भी इस बंद का समर्थन किया है। सभी सरकारी दफ्तर बंद हैं और सरकारी गाड़ियों की सेवा भी बाधित है। बिजनेस प्रतिष्ठानों और दुकानों ने भी शटर गिरा रखा है।
पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन, सीपीआई (एम) और कांग्रेस ने जादवपुर में ब्लॉक रेलवे ट्रैक को ब्लॉक किया। भुवनेश्वर में ओडिशा निर्मना श्रमिक महासंघ के सदस्य, ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स और ऑल उड़ीसा पेट्रोल और डीजल पंप वर्कर्स यूनियन यूनियन ने प्रदर्शन किया। ट्रेड यूनियनों ने केंद्र के नए श्रम कानूनों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी प्रशासन ने सरकारी अधिकारियों के लिए गुरुवार को कार्यालय में उपस्थित होना अनिवार्य कर दिया है ताकि ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को विफल किया जा सके। ममता सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर कोई अधिकारी आज कार्यालय में अनुपस्थित पाया जाता है, तो उसे अकार्य दिवस (ड्यूटी से अनधिकृत अनुपस्थिति) के रूप में माना जाएगा। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने 2011 में टीएमसी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद इस तरह का रुख अपनाया है। बंगाल में लेफ्ट ट्रेड यूनियन के सदस्यों ने नॉर्थ 24 परगना जिले में रेलवे ट्रैक को ब्लॉक कर दिया। वहीं कोलकाता में भी प्रदर्शन हो रहा है। सरकार की नए लेबर लॉ और किसान बिलों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन हो रहा है।
केंद्रीय यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटूयूसी), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), भारतीय व्यापार संघो का केंद्र (सीआईटीयू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड शामिल हैं। यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एम्प्लोयड वुमन एसोसिएशन (एसईडब्ल्यूए), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) भी इसमें शामिल हैं। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) हड़ताल में भाग नहीं लेगा।

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