अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले को पूरा एक साल हो गया है। 5 अगस्त को पिछले साल गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को अनुच्छेद 370 में बदलाव की जानकारी दी थी। इस बदलाव के जरिए जम्मू-कश्मीर को मिलने वाला विशेष दर्जा खत्म कर दिया गया था। अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बाद एक साल में जम्मू – कश्मीर में क्या परिवर्तन आया है। क्या जमीनी स्तर पर जम्मू कश्मीर की आवाम को इस कानून के हटने का फायदा मिला है। यह जानने के लिए मदरलैंड वॉइस के संवाददाता स्वतंत्र सिंह भुल्लर ने जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ नेता व सामाजिक कार्यकर्ता तरनजीत सिंह टोनी से जम्मू कश्मीर के तमाम सियासी हालातों और जमीनी मुद्दों पर चर्चा की। हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। उनके साथ की गई चर्चा के प्रमुख अंश

1.अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर के हालातों में कितना बदलाव आया है?

जम्मू कश्मीर में 370 के हटने के बाद हालातों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। पाकिस्तानी शरणार्थी, गोरखा और पंजाब से आने वाले सफाई कर्मियों को जम्मू कश्मीर में उनके अधिकारों से राजा महाराजाओं ने वंचित रखा और वर्तमान समय में भी उन्हें कई अधिकार नहीं मिले हैं। केंद्र सरकार द्वारा 370 को हटाने से जम्मू कश्मीर की आवाम को कुछ मसलों पर जरूर राहत मिली है। मैं जम्मू कश्मीर की रियासत का दर्जा खत्म करने के खिलाफ हूं। अपने वादे “सबका साथ सबका विकास” पर गृह मंत्री व प्रधानमंत्री खरे नहीं उतरे हैं। इस कानून के खत्म होने पर भी जम्मू कश्मीर की बेटियों को उनके अधिकार यहां मिलते रहेंगे। अगर यहां की बेटियां अन्य राज्यों में शादी करती है। तब भी उनके संपत्ति अधिकार जम्मू कश्मीर में सुरक्षित होंगे। मगर 370 के खात्मे के बाद अब जम्मू कश्मीर में अन्य राज्यों से लोग आकर रोजगार करेंगे। इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को नौकरियों में कमी होगी। मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर के युवा बेरोजगारी से वैसे ही जूझ रहे हैं। दूसरी अहम बात यहां कुछ इलाकों में इंटरनेट की सुविधा नहीं है। जम्मू कश्मीर की जमीन पर बाहर से आने वाली कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। मेरा मानना है कि जम्मू कश्मीर में यहां के नागरिकों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

2. 370 का विरोध करने वाले नेताओं को हिरासत में लिया गया। इसको लेकर आपको क्या कहना है?

केंद्र सरकार ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए जम्मू कश्मीर में जबरन 370 का खात्मा किया है। जम्मू कश्मीर में इस महत्वपूर्ण कानून को खत्म करने के लिए यहां की विधानसभा में कोई चर्चा नहीं की गई। गैरकानूनी तरीके से जम्मू कश्मीर के इस महत्वपूर्ण कानून को हटाने का विरोध करने वाले नेताओं को हिरासत में लिया गया जो बहुत गलत है। जम्मू कश्मीर के तीन बार के मुख्यमंत्री और लोकसभा के सदस्य फारूक अब्दुल्ला को भी लंबे समय तक हिरासत में रखा गया। केंद्र सरकार ने उनके फैसलों के खिलाफ बोलने वाले सभी लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के नाम
जेलों में डाल दिया।

3. क्या जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाने के लिए केंद्र सरकार को कदम उठाने चाहिए?

जम्मू कश्मीर में एक लंबे अरसे से सरकार नहीं है। गवर्नर रूल के कारण जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपनी समस्याओं से निजात पाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर के साथ किए गए सभी वादों को पूरा करना होगा। जम्मू कश्मीर में सीटों के बंटवारे को लेकर भी नए सिरे से कदम उठाने की आवश्यकता है। दोनों क्षेत्रों जम्मू और कश्मीर में बराबर सीटों का बंटवारा होने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में कश्मीर के मुकाबले जम्मू में सीटे कम है। जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों में 45सीटों- 45 सीटों क समान बटवारा होना चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक दृष्टिकोण से सभी वर्गों का ध्यान रखना जरूरी है। जम्मू कश्मीर की राजनीति में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो इसके लिए सरकार को पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, महिलाओं आदि के लिए सीटों को आरक्षित करना होगा। जम्मू कश्मीर धार्मिक स्थलों के नाम से जाना जाता है लेकिन अब जम्मू कश्मीर में अधिक टोल होने की वजह से जाना जा रहा है। केंद्र सरकार को टैक्स को लेकर और सरल कानून बनाने की जरूरत है। ताकि बाहरी कंपनियां यहां अपना व्यापार स्थापित कर सके। जम्मू के लोगों ने हमेशा वतन परस्ती का धर्म निभाया है, मगर दिल्ली में जम्मू के मसलों पर सुनवाई नहीं होती है। केंद्र सरकार का ध्यान सिर्फ कश्मीर की तरफ ही लगा रहता है। केंद्र सरकार के हुक्मरान सिर्फ कश्मीर के नेताओं से मिलते हैं। जम्मू के नेताओं को बातचीत के लिए समय नहीं देते हैं। केंद्र सरकार की नीतियों में भी जम्मू के लिए कोई खास पहल नहीं की जाती है। कश्मीर की आवाम को केंद्र सरकार ने अनेक प्रकार की मदद मुहैया करवाई है। इसके बावजूद भी वहां कई बार हालात खराब हो जाते हैं। पर जम्मू के लोग अनेक परेशानियों में होते हुए भी हमेशा केंद्र सरकार व देश के साथ खड़े रहते हैं। अब केंद्र सरकार को जम्मू के विषय में अधिक सोचने की आवश्यकता है।

4. जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को लेकर आपको क्या कहना है, और यहां आतंकवाद क्यों है?

पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आतंकवाद को खत्म करने के लिए बड़े ऑपरेशन चलाएं। जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर आतंकवादियों का खात्मा हुआ वहीं इन कदमों से आम जनता के बीच में दहशत भी फैली है। मुझे लगता है केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादियों से बात करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर के महाराजा के पास विकल्प था कि वह भारत या पाकिस्तान के साथ जाए उन्होंने भारत का साथ चुना। आज कश्मीर के कुछ बच्चे भटक गए हैं। उनको सही रास्ते पर लाने के लिए गोली सिर्फ विकल्प नहीं है। उनको सही रास्ते पर लाने के लिए अन्य मसलों पर भी काम करने की जरूरत है। जम्मू कश्मीर के लड़के यहां आतंकवादी नहीं बन रहे हैं। हमारे लड़के पाकिस्तान जाते हैं। वहां ट्रेनिंग लेकर फिर भारत में आते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि हमारा बॉर्डर सुरक्षित नहीं है जिसकी वजह से हमारी लोग पाकिस्तान में जा रहे हैं और पाकिस्तानी हमारे यहां आ रहे हैं। आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए बॉर्डर पर सुरक्षा को मजबूत करना होगा। आज हमारे देश में तमाम संस्थाएं जर्जर होती जा रही है। सरकार, प्रशासन व न्यायालय की तर्क व सबूतों के आधार पर आलोचना करने पर भी लोगों को देशद्रोही साबित किया जा रहा है। केंद्र सरकार को नफरत भरे फैसले नहीं लेनी चाहिए। नागरिकता संशोधन कानून व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यह ऐसे कानून है जिसकी वजह से देश में नफरत फैली है।

5. केंद्र सरकार का कहना है कि बहुत जल्द पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा होगा। इसमें आपको कितनी सच्चाई दिखती है?
मैं आपको एक बात साफ बता दू। यह कहना अच्छा लगता है कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा बन जाएगा मगर कहने और करने में बहुत बड़ा अंतर होता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को पाने के लिए भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों देशों से युद्ध करना होगा। और भारत वर्तमान समय में इस हालत में नहीं है कि वह इन दोनों देशों के साथ जंग कर सके। अगर ऐसा हुआ तो यह तीसरा विश्व युद्ध होगा जिसका खामियाजा भारत के लोगों को भुगतना होगा। मौजूदा केंद्र सरकार सिर्फ देशभक्ति के नारे लगाने और सत्ता में बने रहने की पॉलिसी अपना रही है। भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की एक इंच भी जमीन नहीं ले सकता है। आपने देखा कि गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने हमारे बीस से ज्यादा सैनिकों को मार दिया। इस मसले पर केंद्र सरकार का कहना था कि भारत की सरजमीं पर चीन के सैनिकों ने कदम नहीं रखा । पर सवाल उठता है अगर चीनी सैनिकों ने हमारी सरजमीं पर कदम नहीं रखा तो हमारे 20 जवानों की शहादत कैसे हुई। एक झूठ को छुपाने के लिए केंद्र सरकार सौ झूठ बोल रही है। अरुणाचल के कुछ इलाकों में अब भी चीनी सेना का कब्जा है। पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा बन जाएगा। यह कहना सरासर गलत है।

6. आप आने वाले समय में क्या इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ेंगे या फिर किसी पार्टी के साथ जाएंगे?
मैं 2016 में नेशनल कांफ्रेंस से अलग हो गया था। मैं फारूक अब्दुल्लाह का समर्थक हूं, मगर मैं अब कभी नेशनल कांफ्रेंस में वापस नहीं जाऊंगा। मैं हमेशा से जनता से जुड़े मुद्दे अनेक माध्यमों से उठाता रहा हूं आने वाले समय में भी यही करता रहूंगा । अगर मुझे किसी अन्य पार्टी मैं जाने के लिए बुलावा आएगा तो मैं तब सोचूंगा। मैं आपके न्यूज़पेपर का बहुत धन्यवाद करता हूं कि आप लोग दिल्ली से जम्मू कश्मीर के मसलों पर जम्मू कश्मीर की आवाम और यहां के राजनीतिक दलों के नेताओं से मिलकर चर्चा कर रहे हैं। मुझे आशा है कि आप हमारी बात केंद्र सरकार में बैठे हुक्मरानों तक पहुंचाएंगे।

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