मदरलैंड संवाददाता, अररिया

अररिया – पुलिस जवान में कोरोना  पॉजिटिव पाए जाने के बाद जिला प्रशासन ने मोहल्लों में दूसरे दिन लोगों का हालचाल जाना । जिन क्षेत्रों को जिला प्रशासन ने कंटेंनमेंट जोन घोषित कर सील किया है वहीं सरकारी कर्मचारी और शिक्षक भी हैं। समाहरणालय स्थित कार्यालयों में पदस्थापित कई कर्मचारियों  का घर भी इसी एरिया में है । जिला प्रशासन का आदेश है कि इस जोन से किसी को निकलने नहीं दिया जाए, लेकिन कई कर्मियों का ड्यूटी कार्यालय में है । कुछ कर्मचारी जब ड्यूटी के लिए निकलते हैं तो बैरियर और बैरिकेडिंग पर तैनात मजिस्ट्रेट और पुलिस उन्हें जाने से रोकती है। उनका कहना है कि डीएम का आदेश है कि कोई सरकारी कर्मचारी भी इधर से उधर नहीं जाएगा ।
ऐसे में ड्यूटी पर लगाए गए कर्मियों में कार्रवाई होने का भय सताने लगाा है । सदर एसडीपीओ पुष्कर कुमार की अगुवाई में वार्ड नंबर 10, 11, 12 ,13 14 तथा वार्ड संख्या 22 के लोगों की शिकायतें सुनी। जानकारी के अनुसार कंटेनमेंट जोन वाले एरिया में लोगों को सबसे अधिक दिक्कत दूध को लेकर हो रही है। वार्ड संख्या 11 और 12 में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को रमजान जैसे महीने में दूध को लेकर परेशानी हो रही है। हालांकि नगर परिषद के स्तर से दूध की आपूर्ति के लिए कई दुकानदारों का हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है। लेकिन सब्जी, फल, दूध और किराना आपूर्तिकर्ताओं के अधिकांश नंबर बंद बताए जा रहे हैं। दैनिक भास्कर को स्थानीय लोगों ने सोमवार को बताया कि अधिकांश नंबर बंद हैं। हालांकि नगर थानेदार किंग कुंदन ने स्थानीय लोगों से कहा कि किसी तरह की समस्या होने पर उन्हें फोन किया जाए । 25000 की आबादी वाले नप क्षेत्र में सामग्रियों  की आपूर्ति करने में हाथ-पांव फूल रहे हैं ।

कोरोना पोजेटिव मिलने पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने घोषित किया ऑरेंज जोन

स्वास्थ्य मंत्रालय के नए नियमों के आधार जिन क्षेत्रों में 21 दिनों के अंदर यदि कोई काेराेना के मरीज सामने नही आता है तो उस क्षेत्र को आेरेंज से ग्रीन जोन में परिवर्तित कर दिया जाएगा। पहले यह नियम 28 दिनों के लिए निर्धारित था। अररिया जिला भी बीते शनिवार की संध्या तक ग्रीन जोन में शामिल था। ग्रीन जोन में रहने के कारण लोगों पर पाबंदियां भी कम हो गई थी। लेकिन शनिवार को राज्य स्वास्थ्य समिति ने जैसे ही अररिया में एक कोरोना के केस होने पुष्टि की। वैसे ही यह क्षेत्र आेरेंज जोन में परिवर्तित हो गया है। हालांकि एसडीपीओ पुष्कर कुमार का कहना है कि कोरेंटीन में रहने वाले सभी लोगों के सेंपल यदि नेगेटिव आएंगे तो इस क्षेत्र को ग्रीन जोन में परिवर्तित किया जा सकता है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई भी शुरु हो गई है।

क्या है कंटेनमेंट एरिया

वैसे तो केंद्र ने कोरोना वायरस को रोकने के लिए कंटेनमेंट एरिया तय करने का अधिकार स्थानीय प्रशासन को है। लेकिन वह शहरी इलाके में किसी बिल्डिंग से छोटा और पूरे शहर से बड़ा नहीं हो सकता है। सुविधानुसार प्रशासन किसी मोहल्ले, थाना या निगम के एरिया को कंटेनमेंट एरिया घोषित कर सकता है। इसी तरह ग्रामीण इलाके में यह कम-से-कम पूरा गांव और अधिक-से-अधिक एक ब्लॉक तक हो सकता है। कंटेनमेंट एरिया में रहने वाले सभी लोगों के लिए आरोग्य सेतु एप का मोबाइल में डाउनलोड करना होगा, ताकि कोरोना के फैलने की आशंकाओं पर कड़ी नजर रखी जा सके।

कार्रवाई के डर से सहमे हैं सरकारी कर्मी

जिन क्षेत्रों को जिला प्रशासन ने कंटेंनमेंट जोन घोषित कर सील किया है वहीं सरकारी कर्मचारी और शिक्षक भी हैं। समाहरणालय स्थित कार्यालयों में पदस्थापित कई कर्मियाें का घर भी इसी एरिया में है। जिला प्रशासन का आदेश है कि इस जोन से किसी को निकलने नहीं दिया जाए, लेकिन कई कर्मियों का ड्यूटी कार्यालय में है। कुछ कर्मचारी जब ड्यूटी के लिए निकलते हैं तो बैरियर और बैरिकेडिंग पर तैनात मजिस्ट्रेट और पुलिस उन्हें जाने से रोकती है। उनका कहना है कि डीएम का आदेश है कि कोई सरकारी कर्मचारी भी इधर से उधर नहीं जाएगा। ऐसे में ड्यूटी पर लगाए गए कर्मियों में कार्रवाई होने का भय सताने लगाा है। 27 स्थानों पर बैरिकेडिंग और बैरियर लगाया गया है सुबह 6:00 बजे से लेकर दोपहर के 2:00 बजे तक एक शिफ्ट में अधिकारियों की ड्यूटी है। बैरियर और चेकप्वाइंट पर तो रैपिड एक्शन फोर्स के जवान तैनात कर दिए गए हैं, ताकि कोई भी व्यक्ति इधर से उधर और उधर से इधर नहीं आ जा सके ।

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